राजस्थान कांग्रेस ने अपने जिलाध्यक्षों को राजनीतिक रूप से मजबूत बनाने और टिकट वितरण प्रक्रिया में उनकी भूमिका बढ़ाने पर गंभीरता से विचार शुरू कर दिया है। इसी मुद्दे पर गुरुवार को नई दिल्ली में कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस बैठक के दौरान भीलवाड़ा जिलाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी और पार्टी आलाकमान के बीच कहासुनी भी हुई।
“जिलाध्यक्षों की सुने विधायक, नहीं तो सिस्टम बदलें” – भीलवाड़ा अध्यक्ष ने उठाई आवाज
बैठक में भीलवाड़ा जिलाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी ने सीधे राहुल गांधी से सवाल किया कि “पार्टी हमें जिलाध्यक्ष बनाती है, लेकिन मंडल और ब्लॉक अध्यक्ष विधायकों या प्रत्याशियों के इशारे पर काम करते हैं। जब धरना-प्रदर्शन की बात आती है, तो वे हमारी नहीं, बल्कि अपने नेताओं की सुनते हैं।” इस पर राहुल गांधी ने जवाब दिया कि “अगर मंडल-ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति जिलाध्यक्षों के हिसाब से की जाएगी, तो वे विधायकों या प्रत्याशियों की नहीं सुनेंगे।” इसके जवाब में त्रिपाठी ने कहा कि “तो फिर पार्टी को स्पष्ट नियम बनाने चाहिए और जिला, मंडल व ब्लॉक स्तर पर नियुक्तियां पूरी जांच-पड़ताल के बाद होनी चाहिए।” त्रिपाठी ने यह भी कहा कि “काम करने वाले कार्यकर्ताओं को टिकट नहीं मिलता, जबकि बड़े नेता फोन तक नहीं उठाते। अभी तो सरकार भी नहीं है, फिर ये नेता कहां व्यस्त हैं?”
“जिलाध्यक्षों को टिकट वितरण में मिले अहम भूमिका” – सीकर अध्यक्ष
बैठक में सीकर जिलाध्यक्ष सुनीता गठाला ने कहा कि “वरिष्ठ नेताओं को संगठन के हर कार्यक्रम में शामिल होना चाहिए।” वहीं, कोटा शहर जिलाध्यक्ष रविंद्र त्यागी ने बताया कि “इस बैठक में जिला कांग्रेस कमेटी को मजबूत करने और भविष्य में टिकट वितरण प्रक्रिया में जिलाध्यक्षों की भूमिका बढ़ाने पर चर्चा हुई। अब केंद्रीय कार्यसमिति की बैठकों में भी जिलाध्यक्षों को शामिल किया जाएगा।”
कौन थे बैठक में शामिल?
इस महत्वपूर्ण बैठक में राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। माना जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस अपने संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने पर जोर दे रही है।
क्या होगा अगला कदम?
- जिलाध्यक्षों को टिकट वितरण प्रक्रिया में अधिकार दिए जाने पर विचार।
- मंडल व ब्लॉक स्तर पर पारदर्शी नियुक्तियां सुनिश्चित करने की मांग।
- कार्यकर्ताओं की भागीदारी बढ़ाने पर जोर।
अब देखना होगा कि क्या कांग्रेस अपने जिलाध्यक्षों की मांगों को गंभीरता से लेती है या नहीं।
