जयपुर, 3 जून 2025 — राजस्थान में संपत्तियों के पंजीकरण के दौरान कालेधन (ब्लैक मनी) की रोकथाम को लेकर अब न्यायपालिका का रुख और सख्त हो गया है। सुप्रीम कोर्ट और राजस्थान हाईकोर्ट ने संबंधित विभागों और अधिकारियों को पारदर्शिता और समन्वय के साथ कार्य करने के निर्देश दिए हैं, ताकि संपत्ति लेन-देन में कालेधन के उपयोग पर प्रभावी अंकुश लगाया जा सके।
राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर पीठ ने ओमप्रकाश बनाम राज्य व अन्य 28 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए 21 मई 2025 को एक महत्वपूर्ण आदेश पारित किया। इसमें कहा गया कि स्टाम्प ड्यूटी, पंजीकरण शुल्क और अन्य कानूनी शुल्कों की वसूली के दौरान सभी लोक कार्यालय आपस में समन्वय स्थापित करें और नियमों का सख्ती से पालन करें।
शासन सचिव (राजस्व) कुमार पाल गौतम ने बताया कि उच्चतम न्यायालय ने भी इस दिशा में एक अहम निर्णय दिया है। सिविल अपील संख्या 5200/2025 (द कॉरेस्पॉन्डेंस पीबीएएनएमएस एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन बनाम बी. गुणाशेखर) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 16 अप्रैल 2025 को स्पष्ट किया कि अगर किसी संपत्ति लेन-देन में नकद भुगतान, आयकर अधिनियम में निर्धारित सीमा से अधिक होता है, और इसकी जानकारी उप-पंजीयक को मिलती है, तो उसे अनिवार्य रूप से आयकर विभाग को सूचित करना होगा।
गौतम ने स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा कि यदि कोई उप-पंजीयक ऐसी सूचना को छिपाता है या रिपोर्ट नहीं करता, तो उसके विरुद्ध सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने सभी उप-पंजीयकों को निर्देश दिए हैं कि वे राजस्थान स्टाम्प अधिनियम, भारतीय स्टाम्प अधिनियम, रजिस्ट्रेशन अधिनियम, संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, भारतीय संविदा अधिनियम एवं आयकर अधिनियम के तहत अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक पालन करें।
विशेष अभियान के तहत निगरानी बढ़ेगी
सरकार द्वारा संकेत दिए गए हैं कि आगामी महीनों में संपत्ति पंजीकरण से संबंधित दस्तावेजों की अधिक गहराई से जांच की जाएगी। नकद लेन-देन, संदिग्ध रजिस्ट्रेशन फीस, और अघोषित स्रोतों से भुगतान के मामलों में डिजिटल ट्रैकिंग और रिपोर्टिंग अनिवार्य की जा सकती है। यह कदम राज्य सरकार की उस नीति के अनुरूप है, जिसमें अवैध वित्तीय गतिविधियों पर रोक और पारदर्शिता को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य किया जा रहा है।
