राजस्थान की राजधानी जयपुर के प्रतिष्ठित सवाई मान सिंह (SMS) अस्पताल में चिकित्सा लापरवाही का एक और गंभीर मामला सामने आया है। टोंक जिले के निवाई कस्बे की 23 वर्षीय गर्भवती महिला चैना की बुधवार देर रात मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि महिला को गलत ब्लड ग्रुप का खून चढ़ाया गया, जिससे उसकी हालत बिगड़ती चली गई और अंततः उसकी मृत्यु हो गई।
भर्ती से मौत तक की कहानी
चैना को 12 मई को SMS अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह पहले से ही हीमोग्लोबिन की भारी कमी, माइलरी टीबी और गर्भावस्था से जुड़ी जटिलताओं से जूझ रही थी। 19 मई को उसके खून की जांच में A+ ब्लड ग्रुप दर्शाया गया, लेकिन बाद में जब उसके शरीर में प्रतिक्रिया होने लगी और दोबारा जांच की गई, तो पता चला कि उसका असली ब्लड ग्रुप B+ था। 20 मई को जब महिला को A+ ब्लड चढ़ाया गया, तो उसकी तबीयत बिगड़ गई। उसे हेमट्यूरिया (मूत्र में रक्त), टैचीकार्डिया (तेज हृदय गति), बुखार और ठंड जैसे खतरनाक लक्षण दिखने लगे। इलाज के दौरान महिला की जान चली गई।
ब्लड बैंक की रिपोर्ट में पुष्टि
SMS अस्पताल के ब्लड बैंक द्वारा की गई जांच में भी यह पुष्टि हुई कि 19 मई को लिए गए सैंपल में “ट्यूब में गलत रक्त” पाया गया था। यह जानकारी अस्पताल की आंतरिक रिपोर्ट में दर्ज है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया और डॉक्टरों का पक्ष
SMS मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. दीपक माहेश्वरी ने बताया कि महिला पहले से गंभीर हालत में वेंटिलेटर पर अस्पताल लाई गई थी और पूरे मामले की जांच की जा रही है। वहीं महिला की देखरेख में रहीं डॉ. स्वाति श्रीवास्तव ने किसी भी प्रकार की लापरवाही से इनकार करते हुए कहा कि वे उस समय अवकाश पर थीं और बाद में पता चला कि खून चढ़ाने के दौरान ही महिला की हालत बिगड़ गई थी।
परिजनों का आरोप
मृतका के जीजा प्रेम प्रकाश ने बताया कि परिवार को खून चढ़ाने से पहले किसी तरह की जानकारी नहीं दी गई। उन्होंने आरोप लगाया कि खून चढ़ाने से पहले महिला की हालत स्थिर थी, लेकिन खून चढ़ते ही उसकी तबीयत बिगड़ गई और अंततः उसकी मौत हो गई।
पहले भी हो चुके हैं ऐसे मामले
SMS अस्पताल में गलत ब्लड ग्रुप चढ़ाने की यह पहली घटना नहीं है। फरवरी 2024 में एक सड़क दुर्घटना में घायल युवक सचिन शर्मा को भी गलत खून चढ़ाया गया था, जिससे उसकी मौत हो गई थी। इसी तरह, दिसंबर 2024 में जेके लोन अस्पताल में 10 वर्षीय लड़के को भी गलत ब्लड चढ़ाया गया था, जिसके चार महीने बाद उसकी मृत्यु हो गई।
सवालों के घेरे में स्वास्थ्य व्यवस्था
प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में बार-बार हो रही ऐसी घटनाएं राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं। मरीजों की सुरक्षा और मेडिकल प्रक्रियाओं की निगरानी को लेकर सरकार को ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

Author: manoj Gurjar
मनोज गुर्जर पिछले 5 वर्षों से डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं और खेल, राजनीति और तकनीक जैसे विषयों पर विशेष रूप से लेखन करते आ रहे हैं। इन्होंने देश-दुनिया की बड़ी घटनाओं को गहराई से कवर किया है और पाठकों तक तथ्यात्मक, त्वरित और विश्वसनीय जानकारी पहुँचाने का काम किया है।