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जीत कर खुश हुए तो क्या खुश हुए, हारकर भी ठहाके लगाना जिंदगी है यारों

-डोल मेला में आंचलिक कवि सम्मेलन व मुशायरे में कवियों व शायरों ने बांधा समां

बारां 29 सितम्बर। डोल मेला रंगमंच पर गुरूवार रात को आंचलिक कवि सम्मेलन व मुशायरा आयोजित किया गया। जिसमें लगभग 4 दर्जन कवियों व शायरों ने बेहतरीन काव्य पाठ कर श्रोताओं को मध्यरात तक बांधे रखा। जहां नवोदित रचनाकारों ने उत्साह से काव्यपाठ किया। वहीं वरिष्ठ कवियों व शायरों ने हास्य, ओज व श्रृंगार के गीत, गजल, शायरी समेत विभिन्न विधाओं की रचनाओं से श्रोताओं को खूब गुदगदाया व मंत्रमुग्ध कर दिया। अतिथियों द्वारा सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर एवं वरिष्ठ गीतकार छीतरलाल गांवडेल की सरस्वती वंदना से कार्यक्रम की शुरूआत हुई। नगर परिषद उप सभापति नरेश गोयल पैंतरा, मेलाध्यक्ष शिवशंकर यादव, पार्षद प्रदीप विजय, जाकिर खान, परवेज खान, प्रशांत भारद्वाज, कुलदीप शर्मा, मयंक माथोड़िया आदि ने कवियों व साहित्यकारों का माल्यार्पण कर स्वागत किया।

राजेश तिरंगा के संचालन में वरिष्ठ कवि ओमप्रकाश शास्त्री ने सबकुछ डांवाडोल मिलेगा, आने वाली पीढ़ी को, मेवाराम चौधरी ने जीतकर खुश हुए तो क्या खुश हुए, हार कर ली ठहाके लगाना जिंदगी है यारों, राधेश्याम राष्ट्रवादी ने मैं भारत की गौरव गाथा, शूरवीरों की वाणी हूं, पढ़कर कविसम्मेलन को ऊंचाईयां दी। इसी प्रकार वरिष्ठ गीतकार छीतरलाल गांवडे़ेल ने ‘यहां भूख प्यास में तड़फ-तड़फकर गायें रोज देती जान, अन्नदाता जिसको कहते मरते रोज किसान‘ गीत पढा, तो कवि सत्यनारायण शर्मा ने ‘ईमानदारी की बात गई अब, बईमानी जे बढ़गी‘, अटरू से आए भूरसिंह मीणा ने ‘ मारवाड़ की बण्यारी तू मोल बता दे थारो‘ तथा बच्छराज राजस्थानी ने हाड़ोती व श्रृंगार गीत पढ़कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

जबकि वरिष्ठ गीतकार हीरालाल कामेलिया ने ‘म्हारो प्यारो राजस्थान, वरिष्ठ व्यंग्यकार हेमराज बंसल ने हां म्हूं भ्रष्ट छूं, थू कांई कर ले गो जा‘ एवं राजेश पंकज ‘रंगीला‘ ने मेरे शहर की बात ही कुछ सबसे अजब निराली की है, वीआईपी आने पर सडकें चमकती गजब की है, आदि व्यग्य सुनाकर श्रोताओें को हंसने पर मजबूर कर दिया। जबकि मयंक सोलंकी ने ‘ साजिशों जुर्म की तख्तियां फाड़ दो, अपनी आवाज से चुप्पियों फाड़ दो व सुरेश चक्रधारी ने ‘चुनाव आया आता ही रहगा, छबड़ा से आए देवेंद्र सिसोदिया ने ‘पढ़ ले बेटी पढ़ ले म्हारी‘ तथा लीलाधर पांचाल ने गौर पहन शूट राजपूती या तो गांव चाली‘ गीत सुनाकर सबको भावविभोर कर दिया। रमन अजमेरा ने ‘शहीदों का अपमान हो रहा है, जो इस देश की जान है, रामदिल कंडारा ने ‘देखा-देखो जी या डोकरा की छाती गाड़ी, मनोज मस्त ने म्हारो साजन घणों खोड़लो री, म न दारूड़्यो मिलग्यो, सुरेश चक्रधारी ने उम्दा रचना पढ़कर तो पीयूष परिंदा ने ‘जब-जब शहीद अमर होते हैं, देश आबाद होता है‘, पढ़कर श्रोताओं की खूब दाद पाई।

नवोदित व युवा कवि निरंगजन योगी ने अंधेरे में भी उजाला होता है, गिरिराज मीणा जीरोद ने मांड-मांड-मांड बेटी मांड, थ्हारा पापा का सवाल मांड, बृजराज यादव ने माता-पिता से बड़ा नहीं दुनिया मे ंनहीं कोई, शायर उमर बारानवी ‘तिरंगा मेरा जीशान है, जीशान रहेगा, मेरे वतन की ये जान है, जान रहेगा‘, हिसामुद्दीन रजा, कदीर कमर, असरद बारानवीं आदि उम्दा गजल, शायरी आदि से मुशायरा का माहौल पैदा कर खूब वाह-वाही लूटी। इनके अलावा युवा कवि योगेंद्र यादव, राज प्रमोद राज, हरिओम राठौर, बृजराज प्रजापति, पुष्पदयाल वर्मा, हरीशचंद्र सेन, नवोदित कवयित्री मधुरिमा पाठक ने मारवाड़ का शौर्य है, गीत पढ़कर कवि सम्मेलन को यादगार बना दिया।

डोल मेला रंगमंच पर आज-
मेलाध्यक्ष शिवशंकर यादव ने बताया कि प्रतिदिन आयोजित हो रहे सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रंखला में डोल मेला रंगमंच 30 सितम्बर को रात्रि 9 बजे राजस्थानी कवि सम्मेलन आयोजित होगा। जिसमें राजस्थान समेत हाड़ोती के ख्यातनाम कवि काव्यपाठ करेंगे। मेले में लोगों की भीड़ उमड़ने लगी है। जिससे अब रौनक मेले की रौनक बढ़ने लगी है।

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