मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के अनुरोध पर पाकिस्तान से वैध पासपोर्ट और वीजा लेकर भारत आए एक पाकिस्तानी जासूस और उसके दो पाकिस्तानी नागरिकों को गुप्त संदेश भेजने का दोषी ठहराया है। जैसलमेर में भारतीय सेना की गोपनीय सूचनाएं पाकिस्तान भिजवाने के आरोपों में एक वर्ष कारावास व दो वर्ष सश्रम कारावास व 10 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई गई है।
मुख्य गुप्तचर अधिकारी श्री एस सेंगाथिर ने बताया कि पाकिस्तान के सांगड़ जिले के खिमप्रो निवासी नंदलाल उर्फ नंदू महाराज पुत्र नरसिंह वैध पासपोर्ट और वीजा के साथ जोधपुर आया था. आईएसआई के अनुरोध पर भारतीय सेना ने जैसलमेर पहुंचकर गुप्त सूचना एकत्र की और उसे पाकिस्तान भेज दिया। एडीजी सेंगाथिर ने बताया कि सीआईडी की खुफिया टीम ने 20 अगस्त 2016 को पाकिस्तानी जासूस नंदलाल उर्फ नंदू महाराज को ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट और एलियंस एक्ट की धाराओं के तहत गिरफ्तार किया था.
जांच के दौरान नंदलाल को जासूसी में मदद करने के आरोप में दो अन्य पाक नागरिक भाइयों गौरी शंकर और बेटे प्रेमचंद खेमचंद को गिरफ्तार किया गया था. एडीजी ने बताया कि दोनों भाई भी पाकिस्तान के संगड़ जिले के खिमप्रो जिले के रहने वाले हैं. पाकिस्तान से लंबे समय के वीजा पर भारत आने के बाद दोनों जोधपुर के हाउसिंग बोर्ड इलाके के हरिनगर और शंकर नगर में अलग-अलग मकान में रहने लगे. उन्होंने कहा कि जांच के बाद सीआईडी इंटेलिजेंस ने इन तीनों के खिलाफ 16 नवंबर 2016 को मेट्रोपॉलिटन चीफ मजिस्ट्रेट की अदालत जयपुर मेट्रोपॉलिटन प्रथम की अदालत में चार्जशीट दायर की थी.
मामले में तीनों को सीक्रेट एक्ट की धाराओं के तहत दोषी ठहराए जाने के बाद सात साल की सजा सुनाई गई थी। आरोपी गौरीशंकर व प्रेमचंद को धारा 10 के तहत दोषी ठहराते हुए एक वर्ष के सश्रम कारावास एवं अभियुक्त नंदलाल को दो वर्ष के सश्रम कारावास व एलियन एक्ट की धारा के तहत कठोर कारावास व 10 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया गया।