नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रही हिंसा को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने शुक्रवार को लोकसभा में बताया कि अगस्त 2024 में शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद से अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े हैं। दुर्गा पूजा के दौरान मंदिरों और पूजा पंडालों पर भी हमले हुए। जयशंकर ने कहा कि बांग्लादेश सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे।
अल्पसंख्यकों पर हमलों में इजाफा
जयशंकर ने बताया कि शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने के बाद से बांग्लादेश में हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं। मंदिरों पर हमले, पूजा स्थलों को निशाना बनाना और अल्पसंख्यकों के खिलाफ आक्रामकता गंभीर चिंताएं पैदा कर रही हैं। भारत ने इन घटनाओं पर बांग्लादेश सरकार से आपत्ति जताई है और कहा है कि उनके नागरिकों, विशेष रूप से अल्पसंख्यक समुदायों, की सुरक्षा प्राथमिकता होनी चाहिए।
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी विवाद का केंद्र
इस्कॉन के पूर्व पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी ने इस मुद्दे को और भड़का दिया है। उन पर अक्टूबर में एक रैली के दौरान बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के अपमान का आरोप लगाते हुए राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया। इस घटना के बाद बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं।
भारत में राजनीतिक प्रतिक्रिया
भारत के कई नेताओं ने चिन्मय दास की गिरफ्तारी को अनुचित बताते हुए बांग्लादेश सरकार से उनकी रिहाई की मांग की है। विपक्षी दलों ने नरेंद्र मोदी सरकार से हस्तक्षेप करने की अपील की है।
शेख हसीना का समर्थन
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को गलत बताया है। उन्होंने बांग्लादेश सरकार से धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने का आह्वान किया।
भारत की सतर्कता
ढाका स्थित भारतीय उच्चायोग ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर कड़ी नजर रखी हुई है। भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा दोनों देशों के बीच रिश्तों का अहम हिस्सा हैं। बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा और चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी ने दोनों देशों के संबंधों पर गहरा प्रभाव डाला है। भारत ने इस मुद्दे को कूटनीतिक स्तर पर सुलझाने के लिए सक्रियता दिखाई है।