अजमेर, 5 दिसंबर – इत्तेहाद-ए-मिल्लत परिषद (आईएमसी) के संस्थापक मौलाना तौकीर रजा खान ने बुधवार को अजमेर दरगाह विवाद के बीच बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों की कड़ी निंदा की। उन्होंने भारत सरकार से मांग की कि उन्हें बांग्लादेश जाने की अनुमति दी जाए ताकि वे अपनी टीम के साथ वहां अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए काम कर सकें।
मौलाना ने कहा, “बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार बेहद चिंताजनक हैं। मंदिरों पर हो रहे हमले और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाना धर्म के आधार पर भेदभाव का परिचायक है, जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।”
अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की वकालत
मौलाना तौकीर रजा ने जोर देकर कहा कि धर्म के आधार पर भेदभाव खत्म होना चाहिए। “हम चाहते हैं कि बांग्लादेश सरकार ठोस कदम उठाए और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे। अगर सरकार अनुमति देती है, तो मैं अपनी टीम के साथ वहां जाकर स्थिति को सुधारने का प्रयास करूंगा,” उन्होंने कहा।
अजमेर दरगाह विवाद पर प्रतिक्रिया
अजमेर दरगाह विवाद पर मौलाना ने टिप्पणी करते हुए कहा, “खुदाई से कुछ न कुछ तो निकलेगा ही। लेकिन सवाल यह है कि इससे देश को क्या फायदा हो रहा है? असली मकसद मंदिर या अवशेष ढूंढना नहीं होना चाहिए, बल्कि देश के विकास और एकता पर ध्यान देना चाहिए।”
सरकार और अदालतों पर आरोप
उन्होंने केंद्र सरकार पर मुसलमानों के खिलाफ “जंग का ऐलान” करने का आरोप लगाया और कहा कि अदालतें दबाव में फैसले ले रही हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि वह निचली अदालतों के ऐसे फैसलों पर रोक लगाए।
“यदि न्यायपालिका पर जनता का भरोसा टूटता है, तो देश में जंगलराज जैसी स्थिति बन सकती है। यह बेहद खतरनाक होगा,” उन्होंने कहा।
धार्मिक सौहार्द और कठोर कार्रवाई की मांग
मौलाना ने देश में धार्मिक सौहार्द बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि उन लोगों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, जो समाज में विभाजन पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।