संविधान दिवस पर राज्यसभा में गरमा-गरम बहस, अमित शाह ने कांग्रेस को दी खुली चुनौती

नई दिल्ली: संविधान दिवस के मौके पर मंगलवार को राज्यसभा में चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस और विपक्ष पर तीखे हमले किए। उन्होंने कहा कि संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं है, बल्कि वंचितों के कल्याण और राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा है। शाह ने कहा, “खरगे साहब, किया है तो सुनना भी पड़ेगा,” और कांग्रेस पर लोकतंत्र के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाया।


लोकतंत्र की मजबूती पर अमित शाह का बयान

अमित शाह ने कहा कि संविधान ने लोकतंत्र की जड़ें इतनी मजबूत कर दी हैं कि सत्ता का हस्तांतरण बिना एक भी रक्त की बूंद गिरे शांतिपूर्ण तरीके से हुआ। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान नकल नहीं है, बल्कि हमने दुनिया के संविधानों से अच्छी बातें अपनाई हैं, लेकिन अपनी भारतीय परंपराओं को नहीं छोड़ा। उन्होंने कहा, “देश की जनता ने लोकतांत्रिक तरीके से अनेक तानाशाहों के गुमान और अभिमान को खत्म किया है।”


वोट बैंक की राजनीति पर हमला

विपक्ष के आरोपों पर पलटवार करते हुए अमित शाह ने कहा कि वोट बैंक की राजनीति उनकी सरकार नहीं करती है। उन्होंने कहा:

“हमने ट्रिपल तलाक खत्म किया, लेकिन कोई कहने को तैयार नहीं कि अच्छा हुआ। नई शिक्षा नीति लाए और कम्युनिस्ट पार्टी तक इसका विरोध नहीं कर पाई। मोदी सरकार न्याय प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए तीन नए क्रिमिनल लॉ लेकर आई है।”


संविधान में संशोधन का मुद्दा

अमित शाह ने कहा कि संविधान को कभी अपरिवर्तनशील नहीं माना जा सकता। परिवर्तन जीवन का मंत्र है और संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत संशोधन का प्रावधान इसी बात का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि पहले संविधान संशोधन इंदिरा गांधी सरकार के दौरान अभिव्यक्ति की आजादी को कम करने के लिए लाया गया था।

शाह ने कहा:

“पढ़ने का चश्मा विदेशी होगा तो संविधान में भारतीयता नहीं दिखेगी। बाबा साहेब अंबेडकर ने कहा था कि संविधान उतना ही अच्छा या बुरा हो सकता है, जितना इसे चलाने वाले लोग इसे बनाते हैं।”


सरदार पटेल की भूमिका को किया याद

केंद्रीय गृह मंत्री ने सरदार वल्लभभाई पटेल की भूमिका को याद करते हुए कहा कि उनके प्रयासों की वजह से आज देश एकजुट है। उन्होंने कहा कि हमारा लोकतंत्र “पाताल से भी गहरा” है और इसे किसी भी परिस्थिति में कमजोर नहीं किया जा सकता।


रामदास अठावले का कांग्रेस पर हमला

इससे पहले, चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने भी कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि पीएम मोदी संविधान की आन रखते हैं, जबकि कांग्रेस इसे केवल हाथ में दिखाने तक सीमित रहती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 70 सालों में जनता को दगा दिया है और इसीलिए जनता ने उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया।


‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल पेश

इससे पहले, लोकसभा में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ (एक देश, एक चुनाव) बिल पेश किया गया। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने यह संविधान संशोधन विधेयक सदन में रखा। इसके बाद लोकसभा की कार्यवाही 3 बजे तक स्थगित कर दी गई। सरकार ने इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजने का प्रस्ताव रखा है।


अमित शाह का निष्कर्षात्मक बयान

अमित शाह ने संविधान दिवस के मौके पर हुई बहस को युवा पीढ़ी के लिए बेहद महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि इस चर्चा से यह स्पष्ट हुआ कि संविधान का सम्मान करने में कौन आगे है और कौन केवल दिखावा करता है।

 

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