ऑटो न्यूज़ डेस्क – फास्टैग से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। महाराष्ट्र सरकार ने ट्रैफिक नियमों को बेहतर और आधुनिक बनाने के लिए 1 अप्रैल 2025 से फास्टैग के लिए नए नियम लागू करने का ऐलान किया है। सरकार का यह कदम टोल प्लाजा पर जाम को कम करने और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है।
क्या हैं नए नियम?
1. फास्टैग अनिवार्य: अब सभी निजी और व्यावसायिक वाहनों पर फास्टैग लगाना अनिवार्य होगा।
2. जुर्माना और अतिरिक्त शुल्क: जिन वाहनों पर फास्टैग नहीं होगा, उन्हें टोल का दोगुना भुगतान करना पड़ेगा।
3. डिजिटल भुगतान पर जोर: नकद लेन-देन की जगह डिजिटल माध्यम से टोल कलेक्शन किया जाएगा।
सरकार का उद्देश्य
महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले का मकसद टोल प्लाजा पर ट्रैफिक जाम को कम करना और फ्यूल की बचत सुनिश्चित करना है। साथ ही, यह डिजिटल इंडिया अभियान के तहत डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देगा। फास्टैग से टोल कलेक्शन प्रक्रिया पारदर्शी होगी, जिससे सरकार को राजस्व संग्रह में भी सटीकता मिलेगी।
फास्टैग कैसे करता है काम?
फास्टैग एक इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन प्रणाली है जो रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) तकनीक का इस्तेमाल करती है। इसे वाहन के विंडस्क्रीन पर लगाया जाता है। जैसे ही वाहन टोल प्लाजा से गुजरता है, फास्टैग खाते से स्वत: टोल कट जाता है।
लाभ:
टोल प्लाजा पर लंबी कतारों से बचाव।
नकद लेन-देन की आवश्यकता खत्म।
फ्यूल और समय की बचत।
वाहन मालिकों के लिए अलर्ट
सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि फास्टैग न लगवाने पर वाहन चालकों को भारी जुर्माना चुकाना पड़ेगा। यदि आपने अभी तक अपने वाहन पर फास्टैग नहीं लगवाया है, तो इसे तुरंत करा लें।
नया नियम क्यों है जरूरी?
महाराष्ट्र सरकार का यह कदम न केवल स्मार्ट और डिजिटल टोल प्लाजा की अवधारणा को साकार करेगा, बल्कि राज्य के राजस्व में भी सुधार लाएगा। इसके अलावा, यह प्रक्रिया ट्रैफिक जाम को कम करने और फ्यूल की खपत को घटाने में मददगार साबित होगी।
1 अप्रैल 2025 से पहले फास्टैग लगवाना न भूलें, ताकि आपको टोल पर किसी भी समस्या का सामना न करना पड़े और जुर्माना देने से बच सकें।