जयपुर/सीकर। राजस्थान में 9 नए जिलों और 3 संभागों को रद्द करने का मामला राजनीतिक विवाद का बड़ा मुद्दा बन गया है। इस फैसले के खिलाफ राज्यभर में विरोध प्रदर्शन जारी हैं। अब नीम का थाना से जिले का दर्जा समाप्त करने के विरोध में पूर्व विधायक रमेश खंडेलवाल ने राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। इससे पहले गंगापुर सिटी को लेकर भी हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
जिले रद्द करने पर उठे सवाल
राज्य की पूर्ववर्ती सरकार द्वारा गठित 9 जिलों और 3 संभागों को मौजूदा सरकार ने रद्द कर दिया है। इसके खिलाफ विभिन्न क्षेत्रीय नेताओं और जनता का विरोध तेज हो रहा है।
पूर्व विधायक रमेश खंडेलवाल ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि नीम का थाना जिला बनने के सभी मापदंडों को पूरा करता है। खंडेलवाल ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने राजनीतिक प्रतिशोध के चलते यह फैसला लिया है।
गंगापुर सिटी के बाद नीम का थाना का मामला
गंगापुर सिटी से जिले का दर्जा समाप्त किए जाने पर कांग्रेस विधायक रामकेश मीणा पहले ही हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर चुके हैं। अब नीम का थाना को लेकर विरोध बढ़ रहा है। खंडेलवाल का कहना है कि नीम का थाना को जिला बनाने का फैसला पूर्ववर्ती सरकार ने स्थानीय जनभावनाओं और प्रशासनिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए लिया था।
राजनीतिक द्वेष के आरोप
खंडेलवाल और अन्य नेताओं का दावा है कि मौजूदा सरकार ने राजनीतिक प्रतिशोध के तहत जिले का दर्जा समाप्त किया। उन्होंने कहा, “पिछले तीन-चार दशकों से नीम का थाना को जिला बनाए जाने की मांग की जा रही थी। पूर्ववर्ती सरकार ने इसे लागू किया, लेकिन सरकार बदलते ही बदले की भावना से इसका दर्जा रद्द कर दिया गया।”
आंदोलन की तैयारी
खंडेलवाल ने कहा कि यह मुद्दा केवल राजनीतिक नहीं है, बल्कि क्षेत्र के लोगों के सम्मान और प्रशासनिक विकास से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा, “हम कोर्ट का सहारा लेंगे, आंदोलन करेंगे, लेकिन नीम का थाना को जिला बनवाकर ही दम लेंगे। यह लड़ाई हर जनप्रतिनिधि की है और हमें इसे एकजुट होकर लड़ना होगा।”
भाजपा विधायक पर निशाना
खंडेलवाल ने भाजपा विधायक शुभकरण चौधरी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वे इस मुद्दे पर चुप क्यों हैं। उन्होंने कहा, “यह क्षेत्र का मसला है। सभी नेताओं को जनता के साथ खड़ा होना चाहिए। लेकिन भाजपा के स्थानीय नेता चुप्पी साधे हुए हैं।”
आगे क्या?
राजस्थान हाईकोर्ट में गंगापुर सिटी और नीम का थाना दोनों मामलों की सुनवाई की तैयारी चल रही है। क्षेत्रीय नेताओं का कहना है कि यदि सरकार ने यह फैसला वापस नहीं लिया, तो विरोध प्रदर्शन और तेज होंग