“बाराती कम, पुलिस ज्यादा: दलित दूल्हे की बारात बनी ‘सेना परेड'”

अजमेर, राजस्थान: 21वीं सदी में जातीय भेदभाव की छाया से बचने के लिए एक दलित दूल्हे की बारात पुलिस और प्रशासन के सुरक्षा घेरे में निकाली गई। मामला अजमेर जिले के नसीराबाद तहसील के लवेरा गांव का है, जहां एक दलित परिवार ने घोड़ी पर बारात निकालने के लिए सुरक्षा की गुहार लगाई।

घोड़ी पर बारात, साथ में ‘सिक्योरिटी कारवां’

वधु के पिता नारायण खोरवाल ने बेटी की शादी के लिए पुलिस और प्रशासन को पत्र लिखा था। घोड़ी पर बारात निकालने पर पहले विवाद की आशंका थी। पुलिस ने भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच दूल्हे की बारात शांतिपूर्ण तरीके से निकाली, लेकिन इस समारोह में बाराती और घराती से ज्यादा पुलिसकर्मी मौजूद रहे। सोशल मीडिया पर यह मामला वायरल होते ही लोग मजाकिया अंदाज में बोले, “बारात कम, बॉडीगार्ड ज्यादा!”

बारात के आंकड़े: शादी या सुरक्षा मिशन?

बारात में जहां 25 बाराती और 30 घराती थे, वहीं सुरक्षा व्यवस्था के लिए 75 पुलिसकर्मी तैनात थे। बारातियों को ऐसा महसूस हुआ मानो वे शादी में नहीं, बल्कि किसी वीआईपी रैली में शामिल हो रहे हों।

विवाद का इतिहास

लवेरा गांव में 20 साल पहले इसी परिवार की एक शादी में घोड़ी पर चढ़ने को लेकर विवाद हुआ था। इस बार परिवार ने कोई जोखिम न लेते हुए प्रशासन से मदद मांगी।

शादी में मौजूद ‘सुरक्षा विंग’

शादी के दौरान उपखंड अधिकारी देवीलाल यादव, तहसीलदार ममता यादव, एडिशनल एसपी डॉ. दीपक कुमार, डीवाईएसपी जरनैल सिंह, और कई पुलिस थानों का स्टाफ मौके पर मौजूद रहा। यह शादी शांति और सुरक्षा के बीच संपन्न हुई।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं

घटना पर कई लोगों ने अपनी नाराजगी और मजाकिया टिप्पणियां दीं। एक यूजर ने लिखा, “दूल्हे के साथ बारातियों से ज्यादा पुलिस देखकर लगा कि ये शादी नहीं, ‘ऑपरेशन बारात’ है।”

निष्कर्ष

शाम को शादी खत्म होने के बाद सभी ने राहत की सांस ली। शादी में किसी तरह की अप्रिय घटना नहीं हुई, और गांव में सौहार्द बना रहा। हालांकि, यह घटना देश में जातीय भेदभाव के प्रति समाज की सोच पर सवाल जरूर खड़ा करती है।

 

Leave a Comment

लाइव क्रिकेट

संबंधि‍त ख़बरें

सोना चांदी की कीमत