प्रयागराज, 22 जनवरी: दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक, प्रयागराज महाकुंभ 2025, अब अंतरिक्ष से भी दिखाई दे रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने अत्याधुनिक सैटेलाइट्स का उपयोग करके इस भव्य आयोजन की अद्भुत तस्वीरें जारी की हैं। इन तस्वीरों में महाकुंभ मेले का विशाल बुनियादी ढांचा, पवित्र नदियों पर बने अस्थायी पुल, और लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
अंतरिक्ष से महाकुंभ की तस्वीरें
हैदराबाद स्थित नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर ने परिष्कृत ऑप्टिकल सैटेलाइट्स और राडारसैट का उपयोग करते हुए 15 सितंबर 2023 से 29 दिसंबर 2024 तक की तस्वीरें कैद की हैं। इन तस्वीरों में:
- अस्थायी टेंट सिटी: श्रद्धालुओं के लिए बनाए गए अस्थायी टेंट का एक अद्भुत दृश्य।
- पंटून पुल: नदियों पर बनाए गए अस्थायी पुलों की अद्भुत संरचना।
- महाकुंभ का विकास: 6 अप्रैल 2024 की प्रारंभिक तैयारियों से लेकर 22 दिसंबर 2024 के उन्नत ढांचे और 10 जनवरी 2025 को उमड़ती भीड़ तक का सफर।
टेक्नोलॉजी का अनोखा उपयोग
राडारसैट जैसी तकनीक ने यह सुनिश्चित किया कि तस्वीरें किसी भी मौसम में, बादलों के बीच से भी ली जा सकें। उत्तर प्रदेश सरकार इन तस्वीरों का उपयोग मेले में भीड़ प्रबंधन, दुर्घटनाओं को रोकने, और आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए कर रही है।
महाकुंभ 2025 में भीड़ और व्यवस्था
महाकुंभ में इस बार 40 करोड़ लोगों के शामिल होने का अनुमान है। तस्वीरों में प्रयागराज परेड ग्राउंड और आसपास के इलाकों का विस्तार दिखता है। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा,
“इसरो की तकनीक धार्मिक आयोजनों के प्रबंधन में एक नई दिशा प्रदान करती है। महाकुंभ इसका उत्कृष्ट उदाहरण है कि कैसे टेक्नोलॉजी और परंपरा मिलकर स्वच्छ और स्वस्थ भविष्य का निर्माण कर सकती हैं।”
महाकुंभ 2025: परंपरा और विज्ञान का संगम
प्रयागराज महाकुंभ में एक बार फिर भारतीय संस्कृति और आधुनिक तकनीक का अनोखा संगम देखने को मिल रहा है। इसरो की यह पहल न केवल आयोजन की भव्यता को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे विज्ञान और परंपरा मिलकर मानवता के हित में कार्य कर सकते हैं। महाकुंभ का यह अद्भुत आयोजन, अंतरिक्ष से नजर आने वाली अपनी भव्यता के साथ, इतिहास में एक नया अध्याय लिख रहा है।