पाकिस्तान के खिलाफ चलाए जा रहे बहुचर्चित ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत केंद्र सरकार द्वारा गठित सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों में से एक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद यूसुफ पठान की अनुपस्थिति ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। ममता बनर्जी ने इस विदेश दौरे का हिस्सा बनने से साफ इनकार कर दिया है, वहीं पार्टी ने पठान को भी इस मिशन से दूर रखने का निर्णय लिया है।
पाकिस्तान के खिलाफ वैश्विक मोर्चा
भारत सरकार का यह अभियान पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उजागर करने के उद्देश्य से शुरू किया गया है। इसके तहत विभिन्न देशों का दौरा करने के लिए विपक्षी दलों सहित नेताओं की टीमें बनाई गई हैं। जेडी(यू) सांसद संजय झा की अगुवाई में जो प्रतिनिधिमंडल इंडोनेशिया, मलेशिया, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर जाने वाला है, उसमें यूसुफ पठान को शामिल किया गया था। हालांकि, TMC ने अब साफ कर दिया है कि पठान या पार्टी का कोई भी सांसद इस यात्रा का हिस्सा नहीं होगा।
ममता की नाराजगी का कारण
सूत्रों के अनुसार, तृणमूल कांग्रेस केंद्र सरकार द्वारा बिना परामर्श के सांसदों का चयन करने के तरीके से असहज है। पार्टी का कहना है कि सरकार ने उनके नेतृत्व से चर्चा किए बिना मुर्शिदाबाद के सांसद पठान को नामित कर दिया। इससे पहले लोकसभा में TMC के नेता सुदीप बंद्योपाध्याय ने स्वास्थ्य कारणों से प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने से असमर्थता जताई थी। इसके बाद सरकार ने यूसुफ पठान को विकल्प के रूप में चुना, जिसे पार्टी ने खारिज कर दिया।
राजनीतिक संदेश या कूटनीतिक दूरी?
TMC के इस फैसले को कई जानकार राजनीतिक संकेत के तौर पर देख रहे हैं। वहीं कुछ का मानना है कि यह केंद्र और राज्य सरकारों के बीच संवाद की कमी को उजागर करता है। ममता बनर्जी पहले भी केंद्र की विदेश नीति और आतंकी मामलों में अपनी स्वतंत्र राय रखती रही हैं, और यह ताजा कदम भी उसी कड़ी में देखा जा रहा है।
आगे क्या?
21 मई को रवाना होने वाली जापान की यात्रा पर जा रहे प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद, माकपा सांसद जॉन ब्रिटास और अन्य नेता शामिल होंगे। यह दल पाकिस्तान के आतंकवाद और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सच्चाई को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने रखने का प्रयास करेगा। भारत सरकार को अब यह देखना होगा कि क्या बाकी विपक्षी दल इस अभियान में साथ देते हैं या ममता बनर्जी के रुख का असर और दलों पर भी पड़ता है।

Author: manoj Gurjar
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