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NEP 2020 के तहत बदला सिलेबस, लेकिन किताबें अब तक नहीं पहुंचीं स्कूलों तक, छात्रों और शिक्षकों में असमंजस

photo source patrika

राजस्थान सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचा (NCF 2023) के अनुसार कक्षा 1 से 5 तक के सिलेबस में बड़ा बदलाव किया है। लेकिन नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत के बावजूद अब तक नई पाठ्यपुस्तकें न तो छपी हैं और न ही अधिकांश सरकारी व निजी स्कूलों तक पहुंची हैं। किताबों की कमी के कारण शिक्षकों और छात्रों में असमंजस की स्थिति है, जिससे शिक्षा व्यवस्था पर सीधा असर पड़ रहा है।

सिलेबस में क्या बदला है?

राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, उदयपुर ने जो नया सिलेबस तैयार किया है उसमें भारतीय संस्कृति, सनातन मूल्यों, ऐतिहासिक नायकों जैसे महाराणा प्रताप, शिवाजी, सुभाष चंद्र बोस और सरदार पटेल की प्रेरक गाथाओं को शामिल किया गया है। इसके साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सूचना प्रौद्योगिकी और उद्यमिता जैसे आधुनिक विषयों को भी जगह दी गई है। किताबों के नाम भी नई शिक्षा नीति के अनुरूप बदले गए हैं।

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किताबें नहीं पहुंचीं स्कूलों तक, पढ़ाई प्रभावित

राज्य पाठ्यपुस्तक मंडल के अनुसार इस साल करीब 1 करोड़ 20 लाख किताबें सरकारी स्कूलों में मुफ्त वितरित की जानी हैं। लेकिन जुलाई के पहले सप्ताह तक अधिकांश स्कूलों में किताबें नहीं पहुंच सकी हैं। विभाग का दावा है कि लगभग 40% किताबों की आपूर्ति हो चुकी है और शेष 15 जुलाई तक पहुंच जाएंगी, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है।

छपाई में देरी के कारण

शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार सिलेबस में बदलाव को लेकर निर्णय और सामग्री की अंतिम मंजूरी देर से मिली, जिससे प्रकाशकों को सामग्री देर से मिली। अप्रैल में छपाई का काम शुरू हुआ, जबकि नए सत्र की शुरुआत 1 जुलाई से हो चुकी थी।

शिक्षकों और अभिभावकों की चिंता

शिक्षकों का कहना है कि किताबें न होने से उन्हें नई योजना के अनुसार पाठ नहीं पढ़ा पा रहे। कई स्कूल पुरानी किताबों या डिजिटल संसाधनों पर निर्भर हैं, जो नए सिलेबस से मेल नहीं खाते। अभिभावकों का कहना है कि निजी स्कूलों में किताबों की अनुपलब्धता के कारण उन्हें बाजार से महंगे दामों पर किताबें खरीदनी पड़ रही हैं। शेर सिंह चौहान, प्रदेशाध्यक्ष, राजस्थान पंचायती राज एवं माध्यमिक शिक्षक संघ ने कहा: “बिना किताबों के पढ़ाई का माहौल नहीं बन पाता। सिलेबस में बदलाव किया गया है लेकिन व्यवस्था में लापरवाही दिख रही है।”  शिक्षा विभाग का कहना है कि सिलेबस में बदलाव के कारण कुछ देरी हुई है लेकिन 15 जुलाई तक सभी स्कूलों में किताबें पहुंचा दी जाएंगी।

राजस्थान सरकार का प्रयास राष्ट्रीय शिक्षा नीति को धरातल पर उतारने का है, लेकिन सिलेबस में बदलाव के बाद लॉजिस्टिक्स में ढील से छात्र-शिक्षक दोनों प्रभावित हो रहे हैं। किताबों का समय पर वितरण सुनिश्चित करने की दिशा में अब ठोस कार्रवाई की आवश्यकता है, ताकि ‘शिक्षा का अधिकार’ वास्तविक अर्थों में बच्चों तक पहुंच सके।

manoj Gurjar
Author: manoj Gurjar

मनोज गुर्जर पिछले 5 वर्षों से डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं और खेल, राजनीति और तकनीक जैसे विषयों पर विशेष रूप से लेखन करते आ रहे हैं। इन्होंने देश-दुनिया की बड़ी घटनाओं को गहराई से कवर किया है और पाठकों तक तथ्यात्मक, त्वरित और विश्वसनीय जानकारी पहुँचाने का काम किया है। मनोज का उद्देश्य है कि हर पाठक को सरल भाषा में सटीक और विश्लेषणात्मक खबरें मिलें, जिससे वह अपनी राय बना सके। वे डिजिटल न्यूज़ की दुनिया में लगातार नई तकनीकों और ट्रेंड्स को अपनाकर अपने लेखन को और प्रभावशाली बना रहे हैं।

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