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ट्रंप के टैरिफ का असर कम करने के लिए मोदी सरकार की रणनीति तैयार

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केंद्र सरकार ने सोमवार को स्पष्ट किया कि अमेरिका के साथ चल रही व्यापार वार्ता में भारत कुछ बुनियादी सीमाओं का उल्लंघन नहीं करेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए उच्च टैरिफ के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए सरकार निर्यात विविधीकरण की रणनीति पर “केंद्रित प्रयास” कर रही है।

विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने विदेश मामलों की संसद की स्थायी समिति के समक्ष कहा कि भारत, पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर द्वारा नई दिल्ली को परमाणु धमकी देने के लिए अमेरिकी जमीन के इस्तेमाल का मुद्दा औपचारिक रूप से अमेरिका के सामने उठाएगा।

अमेरिका के साथ वार्ता पर अनिश्चितता

सूत्रों के मुताबिक, समिति को दी गई ब्रीफिंग में मिसरी और वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने “अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता और टैरिफ” पर विस्तार से जानकारी दी। भारत को उम्मीद है कि वार्ता जारी रहेगी, भले ही अमेरिका ने रूसी तेल की खरीद को लेकर भारतीय निर्यात पर टैरिफ 50% तक बढ़ा दिया हो। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने साफ कहा है कि टैरिफ विवाद सुलझे बिना कोई नई व्यापार वार्ता नहीं होगी। इससे 25 अगस्त को प्रस्तावित अगले दौर की बैठक पर सवाल खड़े हो गए हैं।

“कठिन दौर” में व्यापार संबंध

एक सूत्र ने बताया, “दोनों देशों के बीच व्यापार संबंध इस समय कठिन दौर से गुजर रहे हैं, लेकिन सरकार स्थिति से निपटने के लिए ठोस कदम उठा रही है।”

किन उद्योगों पर होगा असर?

सरकारी आकलन के अनुसार, अमेरिकी टैरिफ का सबसे ज्यादा असर इन क्षेत्रों पर पड़ सकता है:

  • ऑटोमोबाइल उद्योग

  • कपड़ा उद्योग

  • चमड़ा उद्योग

  • रत्न एवं आभूषण

सरकार का मानना है कि निर्यात के नए बाजारों की तलाश और उत्पाद विविधीकरण से टैरिफ के झटके को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

manoj Gurjar
Author: manoj Gurjar

मनोज गुर्जर पिछले 5 वर्षों से डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं और खेल, राजनीति और तकनीक जैसे विषयों पर विशेष रूप से लेखन करते आ रहे हैं। इन्होंने देश-दुनिया की बड़ी घटनाओं को गहराई से कवर किया है और पाठकों तक तथ्यात्मक, त्वरित और विश्वसनीय जानकारी पहुँचाने का काम किया है।

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