जयपुर शहर में धमकी के मामलों को लेकर पुलिस की लापरवाही एक बार फिर सवालों के घेरे में है। ब्रह्मपुरी थाना क्षेत्र में एक युवक को जान से मारने की धमकी मिलने के बावजूद उसकी शिकायत पर देर रात तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। मामले ने तब तूल पकड़ा, जब पीड़ित ने स्थानीय विधायक बालमुकुंदाचार्य से मदद मांगी। सूत्रों के अनुसार, रविवार देर रात युवक धमकी मिलने के बाद ब्रह्मपुरी थाने पहुंचा। पीड़ित का आरोप है कि पुलिस ने उसकी बात तो सुनी, लेकिन रिपोर्ट दर्ज करने में टालमटोल करती रही। जब घंटों तक कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो युवक ने विधायक से संपर्क किया।
विधायक ने पहले फोन पर थाने के अधिकारियों से बात करने की कोशिश की, लेकिन संपर्क नहीं हो सका। इसके बाद वह खुद थाने पहुंचे और मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों से इस रवैये पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा— “धमकी के मामलों को हल्के में लेना खतरनाक है। उदयपुर के कन्हैयालाल हत्याकांड में भी समय पर सुनवाई हो जाती तो एक निर्दोष की जान बच सकती थी।”
पिछले मामलों पर भी उठाए सवाल
बालमुकुंदाचार्य ने कहा कि शहर में ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां धमकी मिलने के बावजूद पुलिस ने उचित कार्रवाई नहीं की और बाद में गंभीर घटनाएं हुईं। हाल ही में पालड़ी मीणा में 22 वर्षीय विपिन की चाकू से गोदकर हत्या कर दी गई। स्थानीय लोगों का आरोप था कि हत्या से पहले विपिन को धमकियां दी गईं थीं, लेकिन जामडोली थाना पुलिस ने शिकायत को नजरअंदाज कर दिया।
इसी तरह, मानसरोवर थाने में एक सरकारी अधिकारी ने व्हाट्सऐप पर धमकी मिलने की शिकायत दर्ज करवाई थी। पुलिस ने 23 जुलाई को एफआईआर दर्ज करने के बजाय केवल परिवाद लिखा और फिर मामले को भुला दिया। अधिकारी अब भी दहशत में हैं।
जन सुरक्षा पर असर
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अगर पुलिस समय पर गंभीरता दिखाए, तो धमकी और हत्या जैसे अपराध रोके जा सकते हैं। MLA बालमुकुंदाचार्य ने स्पष्ट कहा कि वह इस मामले को उच्च स्तर पर उठाएंगे और लापरवाह पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग करेंगे।

Author: manoj Gurjar
मनोज गुर्जर पिछले 5 वर्षों से डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं और खेल, राजनीति और तकनीक जैसे विषयों पर विशेष रूप से लेखन करते आ रहे हैं। इन्होंने देश-दुनिया की बड़ी घटनाओं को गहराई से कवर किया है और पाठकों तक तथ्यात्मक, त्वरित और विश्वसनीय जानकारी पहुँचाने का काम किया है।