राजस्थान सरकार ने प्रदेश में ई-साक्ष्य व्यवस्था लागू कर दी है, जो आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव माना जा रहा है। इस नई व्यवस्था के तहत अब ई-साइन वाले दस्तावेज़ों को साक्ष्य के रूप में मान्यता मिलेगी। साथ ही, जांच अधिकारी को गवाहों के बयान का वीडियो तैयार करना होगा और वीडियो-फोटो को सीधे मोबाइल एप के जरिए अपलोड करना अनिवार्य होगा।
कोर्ट में तुरंत उपलब्ध होंगे ई-साक्ष्य
पिछले साल जुलाई में देशभर में लागू नए आपराधिक कानूनों की पालना करते हुए राज्य सरकार ने यह नियम लागू किया है। अब अनुसंधान अधिकारी को अनुसंधान के दौरान वीडियो और फोटो साक्ष्यों पर जोर देना होगा। इनको मोबाइल एप पर अपलोड करने के बाद कोर्ट सुनवाई के समय सीधे इन्हें देख सकेगा। इससे जांच प्रक्रिया पारदर्शी और तकनीकी रूप से अधिक सुदृढ़ होगी।
सामुदायिक सेवा की सजा भी होगी लागू
ई-साक्ष्य व्यवस्था के साथ ही सरकार ने सामुदायिक सेवा से संबंधित प्रावधान भी लागू किए हैं। इसके तहत छोटे-मोटे अपराधों में दोषी पाए गए व्यक्तियों को जेल भेजने की बजाय सामुदायिक कार्यों में योगदान देने की सजा दी जाएगी। इनमें अस्पताल, शिक्षण संस्थान, वृद्धाश्रम में सेवा करना, पार्कों की सफाई करना, पेड़ लगाना और प्याऊ पर पानी पिलाना जैसे कार्य शामिल होंगे।
क्यों है अहम बदलाव?
कानून विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से न केवल मामलों के निपटारे में पारदर्शिता बढ़ेगी बल्कि न्यायिक प्रक्रिया में भी तेजी आएगी। ई-साक्ष्य के चलते छेड़छाड़ की संभावना कम होगी और अदालत के सामने ठोस व डिजिटल प्रमाण पेश किए जा सकेंगे।

Author: manoj Gurjar
मनोज गुर्जर पिछले 5 वर्षों से डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं और खेल, राजनीति और तकनीक जैसे विषयों पर विशेष रूप से लेखन करते आ रहे हैं। इन्होंने देश-दुनिया की बड़ी घटनाओं को गहराई से कवर किया है और पाठकों तक तथ्यात्मक, त्वरित और विश्वसनीय जानकारी पहुँचाने का काम किया है।