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माता-पिता भूलकर भी न कहें बच्चों से ये बातें, दिमागी सेहत पर पड़ता है बुरा असर

माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी बातें सिखाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। इसके बावजूद माता-पिता अक्सर अपने बच्चों को बिना समझे ही बता देते हैं कि उन्हें क्या नहीं करना चाहिए। ऐसी बातें, जिनका सीधा असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ सकता है। वास्तव में बच्चों का मिजाज बहुत मीठा होता है। ऐसे में कोई भी नकारात्मक विचार या कोई भी चीज उनके अंदर की भावना को नष्ट कर सकती है और उनके आत्मविश्वास को कम या खत्म कर सकती है। इसलिए बच्चों के सामने अच्छा बोलना हमेशा अच्छा होता है। आइए जानते हैं वो बातें जो माता-पिता को बच्चों के सामने अनजाने में भी नहीं करनी चाहिए।

लड़के या लड़कियां नहीं करते ऐसे काम-
एक बच्चा लड़का या लड़की नहीं है, उन्हें एक लिंग में फंसाने की कोशिश न करें। यदि बच्चा बड़ा है, तो लड़का स्वयं नाश्ता बना सकता है, और आपकी बेटी आपको लॉग ट्रिप पर ले जा सकती है। कुछ लोगों द्वारा निर्धारित कुछ निश्चित लिंग नियमों का पालन करना आपके बच्चे के दिमाग को प्रभावित कर सकता है। उदाहरण के लिए लड़के रोते नहीं है , लड़कियां पढ़कर क्या करेंगी, तुम्हे तो रोटी ही बेलनी है। ऐसे शब्द विश्वास को नष्ट कर सकते हैं। बच्चों को इस तरह के नियम सिखाना गलत है।

मैं बात नहीं करुंगी-
अपने बच्चे और अपने बीच संचार की रेखा को बंद न करें। बच्चों को हमेशा अपने विचार और सवाल पूछने की आजादी दें। ऐसा करने से वह आपको खुलकर अपनी सारी बातें बता देंगे। अगर आप गुस्सा हो जाते हैं और उनसे बात करने का रास्ता रोक लेते हैं, तो उनके मन में जो बात है वह उनके दिमाग में आ जाएगी, जो आपके बच्चों के साथ आपके रिश्ते को बर्बाद कर सकती है।

ताने देना-
बच्चों के साथ कभी भी ताने मारकर बात न करें। बार-बार की शरारतें बच्चों को गुस्सा और जिद्दी बना सकती हैं।

शर्मिंदगी महसूस होती है-
ऐसी बातें आपके बच्चे के मन-मस्तिष्क पर काफी असर डालती हैं। वह स्वयं को अपनी दृष्टि में मूल्यवान नहीं समझता। बच्चों के सामने ऐसे शब्दों के प्रयोग से बचें। ऐसे शब्द बच्चे के आत्मविश्वास को खत्म कर सकते हैं।

अन्य बच्चों की तुलना में
अक्सर माता-पिता अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से करने लगते हैं। ये बातें आपको अजीब लग सकती हैं, लेकिन बच्चों के दिमाग में ऐसी बातें घर कर जाती हैं। इससे उनके आत्मविश्वास को ठेस पहुंच सकती है। इसलिए अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से न करें।

Rajeev Kushwaha
Author: Rajeev Kushwaha

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