भ्रष्टाचार को लेकर दिए गए बयान पर सीएम अशोक गहलोत ने अफसोस जताया है. सीएम ने मंगलवार को जयपुर हाईकोर्ट में माफी मांगी. कोर्ट केस पर अपनी प्रतिक्रिया में सीएम गहलोत ने कहा कि उन्होंने जो कुछ भी कहा वह उनकी राय को प्रतिबिंबित नहीं करता.
सीएम गहलोत ने कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा कि पूर्व जजों ने बार-बार कोर्ट में भ्रष्टाचार को लेकर अपनी राय रखी है. मैंने अपने वक्तव्य में इसे बताते हुए अपनी राय व्यक्त की। सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि जज सम्माननीय होते हैं और अगर किसी भी तरह से कोर्ट की गरिमा का उल्लंघन हुआ है तो मैं बिना शर्त माफी मांगता हूं. हम आपको बताना चाहेंगे कि पूर्व न्यायिक अधिकारी और वकील शिवचरण गुप्ता की जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति एजी मसीहा और न्यायमूर्ति एमएम श्रीवास्तव के समक्ष सुनवाई हो रही है.
राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस एजी मसीहा की पीठ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बयान दर्ज किया. कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई 7 नवंबर 2023 के लिए तय की है. सुप्रीम कोर्ट और राजस्थान हाई कोर्ट में कार्यरत युवा वकील प्रतीक कासलीवाल ने सीएम अशोक गहलोत की ओर से कहा कि हमने एक दस्तावेज पेश किया है जिसमें के बयान हैं.
30 अगस्त को जयपुर में मीडिया से बात करते हुए सीएम गहलोत ने कहा था, ”अदालतों में बहुत भ्रष्टाचार है. मैंने सुना है कि कई वकील तो जजमेंट लिखकर ले जाते हैं। वही जजमेंट आता है. वही फैसला आता है. न्याय व्यवस्था में क्या हो रहा है” ? चाहे निम्न स्तर पर हो या उच्च स्तर पर, स्थिति हर जगह खराब है। “समुदाय को इस बारे में सोचने की ज़रूरत है।”
गहलोत ने कहा था कि केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल पर बीजेपी विधायक कैलाश मेघवाल के आरोप सही हैं. मुझे पता चला कि उनके समय में बहुत भ्रष्टाचार था. सीएम के भाषण के बाद न्यायपालिका में शिकायतें उठीं. वकीलों ने हड़ताल और धरने प्रदर्शन कर दिए थे।
राजस्थान बार काउंसिल के पूर्व उपाध्यक्ष और बीजेपी नेता योगेन्द्र सिंह तंवर ने भी सीएम और राजस्थान हाईकोर्ट के एक जज के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. वकील शिवचरण गुप्ता समेत कई वकीलों ने सीएम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में केस दायर किया. वकील शिवचरण गुप्ता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सीएम अशोक गहलोत को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है. इस पर सीएम का जवाब आज हाईकोर्ट में दाखिल कर दिया गया है.
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