ब्राह्मण, वैश्य, क्षत्रिय, शुद्र सनातन के चार पाए हैं, जिन पर धर्म टिका हुआ है: पं. प्रदीप मिश्रा

-राजनीति के कुछ लोग समाज को तोड़ना चाहते हैं, महापुराण कहती है, चारों वर्ण के लोग ब्रह्मा जी की संतानें हैं

-कोटा के दशहरा मैदान में आयोजित श्री देवपितृ शिव महापुराण कथा का चौथा दिन

कोटा, 4 अक्टूबर। कोटा के दशहरा मैदान में आयोजित श्री देवपितृ शिव महापुराण कथा के चौथे दिन बुधवार को भी श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ी। लगभग 2 लाख से अधिक जनसमूह ने मंत्रमुक्त होकर अंतरराष्ट्रीय कथावाचक प्रदीप मिश्रा सीहोर वाले के मुखारविंद से शिवकथा का श्रवण किया। इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सपत्नीक कथा पंडाल में मौजूद रहे। उन्होंने पूरे समय कथा का आनंद उठाया। डॉ. अमिता बिरला, विधायक संदीप शर्मा, चंद्रकांता मेघवाल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त प्रचारक विजयानंद, लघु उद्योग भारती के प्रदेश अध्यक्ष ताराचंद गोयल समेत अन्य लोगों ने भी कथा के दौरान आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर बालक शिवाय पं. प्रदीप मिश्रा और नमिश्र भगवान शंकर का प्रतिरूप झांकी के रूप में बनकर आया। पंडित प्रदीप मिश्रा ने पत्र पढ़ते हुए कहा कि कोटा नयागांव के सुरेंद्र नागर ने लिखा है कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और विधायक संदीप शर्मा ने कोटा में कथा कराकर पुण्य का काम किया है। पंडित मिश्रा ने बताया कि गुरुवार को कथा प्रातः 8 से 11 बजे तक होगी।

इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि कथाएं सैकड़ो वर्षों से सनातन की पताका को लहरा रही हैं। इन कथाओं के माध्यम से ही भारतीय संस्कृति और सभ्यता निरंतर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में पहुंचती है। भारत का वसुधैव कुटुंबकम् और एकं सद विप्रा: बहुधा वदंति का विचार निरंतर प्रवाहित होता है। कथाओ से ईश्वर के प्रति हमारी भक्ति और हमारी धारणा दृढ़ होती है। जिनसे हम अपने संस्कारों को प्रगाढ़ करते हैं। आधुनिक समय में इन कथाओं की आवश्यकता और बढ़ गई है।

विधायक संदीप शर्मा के सान्निध्य में आयोजित कथा के दौरान पंडित प्रदीप मिश्रा ने प्रवचन में कहा कि ओछी राजनीति करने वाले कुछ लोग समाज को तोड़ना चाहते हैं। ब्राह्मण, वैश्य, क्षत्रिय, शुद्र सभी सनातन के चार पाए हैं। जिन पर सनातन धर्म टिका हुआ है। शिव महापुराण कहती है, चारों वर्ण के लोग ब्रह्मा जी की संतानें हैं।

उन्होंने कहा कि पानी को डंडे से मारने से वह अलग नहीं होता है। सनातन धर्म की जितनी भी जातियां हैं, वे सभी सनातन की गौरव हैं। कुछ लोग वोट के चक्कर में सनातन धर्म को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सनातन धर्म ऐसे नहीं टूटने वाला है। उन्होंने कहा कि भगवान के मंदिर में अगरबत्ती जलाने को लेकर भी भ्रम फैलाया जाता है। अभी अगरबत्ती के लिए मना करेंगे, बाद में मोमबत्ती पकड़ा देंगे और कहेंगे यही आपकी माई बाप है। पंडित मिश्रा ने कहा कि चाहे रसगुल्ला हो, गुलाब जामुन हो, जलेबी हो या कोई अन्य मिष्ठान सभी को पेट में एक ही जगह जाना है। उसी प्रकार कोई किसी भी वर्ण का हो, उसे ईश्वर में ही समा जाना है। हर वर्ण के लोग भगवान को अतिप्रिय हैं। भगवान के लिए किसी वर्ण के रूप में कोई भेद नहीं है। उन्होंने संत रविदास के बारे में कहा कि वे मीराबाई के गुरु थे और कठौते में चमड़ा धोते थे। उन्होंने चमत्कार करके मीराबाई को अपने कठौते में ही गंगा को प्रकट कर दिया था। तभी से कहावत चल पड़ी है, “मन चंगा तो कठौते में गंगा।”

उन्होंने शिव भक्ति का महात्म्य बताते हुए कहा कि शिव की भक्ति करने वालों को हराना संसार में सबसे कठिन काम है। उन्होंने कहा कि पुरानी टीवी सिग्नल से चलती थी, लेकिन आधुनिक टीवी को रिचार्ज कराना पड़ता है। इस प्रकार से शिव भक्ति का रिचार्ज भी हर महीने होना जरूरी है। हर महीने शिव महापुराण सुनकर यह रिचार्ज कराएं। आज आप महादेव के लिए समय दे रहे हैं और शिव महापुराण सुन रहे हैं तो अंत समय में यही आपके काम आएगा। अपने विश्वास, भरोसे और दृढ़ता को कायम रखिए। भगवान भोले शंकर छप्पन भोग से खुश नहीं होते, वे केवल भक्ति से खुश होते हैं। अंत समय में भक्त के द्वारा चढ़ाया गया एक लोटा जल और शिव पुराण कथा का श्रवण ही काम आएगा। तब चित्रगुप्त जी कहेंगे इसने शिव पुराण को समय दिया था, इसके भी जीवन के कुछ साल और दे दो। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण ने एक चावल का दाना खाकर 10 हजार संतों का पेट भर दिया था। द्रौपदी ने उंगली पर एक कपड़ा बंधा था, जिसके बदले में उन्होंने 999 साड़ियां देकर चीर बढ़ा दिया था।

उन्होंने मोबाइल का उदाहरण देते हुए कहा कि जिसके मोबाइल में नेटवर्क नहीं होता, वह केवल गेम खेलने के काम आता है। जिसका शंकर में भरोसा नहीं है वह दुख के साथ गेम खेलता रहता है। उन्होंने कहा कि अच्छा ढूंढोगे तो अच्छा मिलेगा। उन्होंने पितृपक्ष के महत्व से जुड़ी हुई कथा सुनाते हुए कहा कि कौवा बहुत सुंदर पक्षी हुआ करता था, लेकिन अपनी गलती से वह काला कुरुप हो गया।

उन्होंने वीआईपी कल्चर पर प्रहार करते हुए कहा कि कोई कलेक्टर का रिश्तेदार, एसपी का रिश्तेदार होता है तो अकड़कर चलता है। लेकिन अगर आपसे कोई पूछे तो आप भी कह देना कि भोले बाबा से हमारी रिश्तेदारी है। महादेव से रिश्तेदारी ही जीवन भर काम आएगी। सांसारिक लोग आग लगाकर चले जाएंगे। अंत में कोई साथ नहीं देगा। अंत में बाबा को चढ़ाया हुआ जल ही काम आएगा। उन्होंने कहा कि आजकल कोई घर में सुंदरकांड भी करता है तो कहता है, मजा आना चाहिए। सुंदरकांड मजे के लिए नहीं, बल्कि बाबा को रिझाने के लिए होना चाहिए। क्रीम पाउडर और ब्यूटी पार्लर की चमक दो-चार घंटे में उतर जाती है। लेकिन भजन की चमक जिंदगी भर खत्म नहीं होती। नरसी मेहता, कर्मा बाई, मीराबाई किसी पार्लर में नहीं गए, लेकिन उनकी भक्ति की चमक आज भी कायम है।

कथा के दौरान पं. प्रदीप मिश्रा के द्वारा भजन शुरू करते ही शिवभक्त पूरे उत्साह, उल्लास और उमंग के साथ उन पर झूमते और गाते नजर आते हैं। पं. मिश्रा ने “अंत समय प्रभु आना पड़ेगा.. वचन भी प्रभु निभाना पड़ेगा.. मेरे बाबा दया करना, हम तेरे भरोसे हैं… भोला सब दुख हारो.. कोई जाए तो काशी में मेरा पैगाम ले जाना.. प्रभु आपकी कृपा से सब काम हो रहा है… अंत समय में आना पड़ेगा प्रभु शरण तेरी… सरीखे भजनों पर लोगों भक्तों को झूमने पर मजबूर कर दिया।

कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा को सुनने के लिए बड़ी संख्या में लोग दशहरा मैदान पहुंच रहे हैं। बुधवार को कथा के दौरान 12 बजे से ही मंच से लेकर अंत तक पूरा पंडाल खचाखच भर गया था। जहां पैर रखने की भी जगह नहीं बची थी। ऐसे में बाद आने वाले श्रद्धालुओं को खड़े रहकर ही कथा श्रवण करना पड़ा। बाहर बनी दुकानों में भी बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

दूर दराज के क्षेत्र से आए श्रद्धालुओं की सहायता के लिए स्वयंसेवक, सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक संस्था के कार्यकर्ता पूर्ण सहयोग और सेवा में जुटे हुए हैं। वे सभी कथा संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। कथा में पार्किंग, पेयजल समेत अन्य व्यवस्थाओं में कार्यकर्ता जुटे हुए हैं।

कथा में राजेश बिरला, लक्ष्मण नैनानी, नरेंद्र बिरला, संजय बिरला, मीनू बिरला, विशाल शर्मा, साहिब सिंह, रूद्रेश तिवारी, विवेक राजवंशी, लव शर्मा, कविता पचवारिया, कुंज बिहारी गौतम, गोपाल राम मंडा, दिनेश विजय, आनंद राठी, रमेश गुप्ता, ओम आडवाणी, अशोक मीणा, कुलदीप माथुर समेत कई लोग उपस्थित रहे।

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