भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशों की पालना सुनिश्चित करें, अधिकारी जिला निर्वाचन अधिकारी ने दिए निर्देश

कोटा 9 अक्टूबर। जिला निर्वाचन अधिकारी एमपी मीना ने निर्देश दिए हैं कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा विधानसभा आम चुनाव 2023 कराने की घोषणा के साथ ही लागू आचार संहिता का पालन समस्त राजनैतिक दलों इससे संबंधित कार्यकर्त्ताओं अभ्यर्थियों तथा राजकीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा कडाई से किया जाए। इसके लिए भारत निर्वाचन आयोग द्वारा राजकीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए निर्देश प्रदान किये है जिनका सख्ती से पालन किया जाए।

जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि कोई भी राजकीय अधिकारी एवं कर्मचारी किसी राजनैतिक दल या राजनिति से संबंधित किसी भी संगठन, संस्था में भाग नहीं लेगा, न ही उसका सदस्य होगा न ही किसी प्रकार से उससे संबंध रखेगा न ही प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सहायतार्थ चंदा देगा या सहयोग करेगा। कोई भी सरकारी अधिकारी एवं कर्मचारी राजनैतिक दलों द्वारा आयोजित सभा, रैली या अन्य गतिविधियों में भाग नही लेगा न ही राजनैतिक आन्दोलन में सक्रिय रहेगा तथा इस संबंध में राजस्थान सिविल सेवा (आचरण) नियम 1951 के नियम 7 में वर्णित शर्तों की पालना करेगा। प्रत्येक सरकारी अधिकारी एवं कर्मचारी का यह भी दायित्व होगा कि वह अपने परिवार के सदस्य, सदस्यों को राजनैतिक गतिविधियों, आन्दोलनों, जो विधिवत स्थापित सरकार को उलटने जैसे कार्य में लगी हो, में भाग लेने या अन्य प्रकार से सहायता करने से रोकने का पूरा प्रयास करेगा तथा अपने परिवार के सदस्यों को ऐसी कार्यवाही करने से रोकने में असमर्थ हो तो तत्काल इसकी सूचना सरकार को देगा।

कोई भी सरकारी कर्मचारी एवं अधिकारी विधानसभा आम चुनाव के संबंध में प्रचार प्रसार नहीं करेगा ना ही मत (वोट देने के संबंध में अपना प्रभाव डालेगा न ही किसी अन्य प्रकार से दखल अन्दाजी करेगा न ही ऐसी किसी गतिविधि में भाग लेगा। किसी भी सरकारी कर्मचारी एवं अधिकारी द्वारा अपने स्वयं के वाहन या निवास स्थान पर चुनाव चिन्ह का प्रदर्शन नहीं किया जावेगा। ऐसा कृत्य उसके द्वारा चुनाव के संबंध में अपने प्रभाव का उपयोग करना समझा जावेगा ।

इसी प्रकार चुनाव उम्मीदवार के नामांकन का प्रस्ताव, अनुरोध या पोलिंग ऐजेंट के रूप में कार्य करना चुनाव में सक्रिय भाग लेना चुनाव आचरण संहिता का उल्लंघन माना जावेगा । प्रत्येक सरकारी कर्मचारी एवं अधिकारी निर्वाचन कार्य के दौरान न केवल निष्पक्ष ही रहेगा वरन् अपने कार्य कलाप एवं व्यवहार से भी पूर्णतया निष्पक्षता का अहसास करायेगा एवं किसी सन्देह की गुंजाईश नहीं रखेगा जिससे किसी प्रत्याशी या राजनैतिक दल का पक्षपात कर रहा हो। साथ ही इस बात की भी पूरी सावधानी रखेगा जिसमे उसके नाम पदीय स्थिति या राजकीय प्राधिकार का उपयोग किसी अन्य व्यक्ति या राजनैतिक दल के पक्ष, विपक्ष में हो। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 128 (1) के अनुसार ऐसा हर ऑफिसर, लिपिक, अभिकर्ता या अन्य व्यक्ति जो निर्वाचन में मतों का अभिलिखित करने या उसकी गणना करने जैसे सशक्त किसी कर्तव्य का पालन करना है, मतदान की गोपनियता बनाए रखेगा और बनाये रखने में सहयोग करेगा। जो कोई व्यक्ति उपधारा (1) के उपबंधो का उल्लघंन करेगा, वह कारावास से जिसकी अवधि तीन माह तक की हो सकेगी या जुर्माने से या दोनो से दंडनीय होगा।

निर्वाचन कार्य समाप्ति तक कोई भी सरकारी अधिकारी, कर्मचारी ऐसे कार्य नहीं करेगा जो किसी प्रत्याशी, राजनैतिक दल के मतदान को प्रभावित करता हो। किसी संस्थान, फर्म के पक्ष में वित्तीय अनुदान की घोषणा, सड़क निर्माण, पेयजल सुविधा उपलब्ध कराना, किसी परियोजना या अन्य योजनाओं का शिलान्यास, किसी सरकारी या सरकारी उपक्रम में अस्थायी (एडहोक) नियुक्ति, अधिकारियों, कर्मचारियों के स्थानान्तरण करना, विश्राम भवन या राजकीय आवास गृह आदि को चुनाव प्रचार चुनाव सभा या चुनाव प्रत्याशी के कार्यालय आदि के उपयोग हेतु उपलब्ध कराने जैसे कार्य नहीं किए जाएं। कोई सरकारी कर्मचारी एवं अधिकारी किसी राजनैतिक दल या प्रत्याशी के पक्ष में चुनाव सभा या इससे संबंधित कार्यक्रम आदि आयोजित नहीं कराएगा न ही इसमें सक्रिय भाग लेगा अथवा सहयोग करेगा। सरकारी कर्मचारी के द्वारा निर्वाचन अभिकर्ता मतदान अभिकर्ता या मतगणना अभिकर्ता के रूप में कार्य करने पर वह एक अवधि के लिए कारावास जो तीन माह तक हो सकती है, अथवा जुर्माना या दोनों से दण्डित किये जाने का प्रावधान है। यदि किसी कर्मचारी द्वारा आचरण, संहिता, नियमों की अवहेलना की गई तो उसके विरूद्ध लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 129 तथा 134- क के अन्तर्गत कार्यवाही की जा सकेगी।

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