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जिला चिकित्सालय में पत्नी के इलाज की दवा लेने के लिए 5 घंटे चक्कर लगाता रहा दिव्यांग

बूंदी 12 अक्टूबर। बूंदी ए श्रेणी के जिला चिकित्सालय में अव्यवस्थाए खत्म होने का नाम नहीं ले रही देवजी का थाना निवासी दिव्यांग महावीर अपनी पत्नी के उपचार के लिए जिला चिकित्सालय आया था जहां पर डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवा लेने के लिए 5 घंटे तक जिला चिकित्सालय में चक्कर काटने पर भी कहीं से भी दवा नहीं मिलने पर थक हार कर दिव्यांग पति, अपनी पत्नी को दवा दिलवाने में मदद के लिए मानव सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश खोईवाल के पास आए और कहा कि मैं गरीब परिवार से हूं और मेरी पत्नी बीमार है इसके उपचार में डॉक्टर द्वारा जो दवा लिखी है वह जिला चिकित्सालय में नहीं मिली और प्राइवेट मेडिकल में यह दवा 8 हजार से अधिक रुपए की है जिसको खरीदने में असमर्थ हूं.

आप कैसे भी करके मेरी पत्नी के उपचार के लिए यह दवा उपलब्ध करवाने की कृपा करे. जिस पर खोईवाल द्वारा दवा काउंटर पर जाकर पता किया तो दवा वितरण करने वाली महिला कर्मी ने बताया कि जो दवा लिखी गई है उसमें से एक प्रकार की दवा तो जिला चिकित्सालय में आती ही नहीं है. और दूसरे प्रकार की दवा पिछले दो माह से खत्म हो रही है. चारों दवा वितरण केंद्र पर यही बात दोहराई गई तो खोईवाल द्वारा ड्यूटी डॉक्टर से बात की और कहा कि एक विकलांग सुबह से घूम रहा है आपके द्वारा लिखी गई दवा जिला चिकित्सालय में आती ही नहीं है और जो दूसरी दवा लिखी है वह पिछले दो महीने से खत्म हो रही है तो यह विकलांग अपनी पत्नी का उपचार किस प्रकार करवा पाएगा जिस पर डॉक्टर द्वारा अटपटा जवाब देते हुए कहा कि कोटा में मेडिकल कॉलेज से दवा लेकर आओ, हमारा काम दवा लिखने का है हमने लिख दी अब यह नहीं हे तो हम क्या करे यह कहकर डॉक्टर ने पल्ला झाड़ लिया.

डॉक्टर से जब संतुष्टि भरा जवाब नहीं मिला तो पीएमओ एनके सिंह के पास जाकर राजेश खोईवाल ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जिला चिकित्सालय में यह क्या अव्यस्थाये हो रही है. एक दिव्यांगजन अपनी पत्नी को दवा दिलवाने के लिए सुबह से इधर-उधर घूम रहा है तो आम जन को कितनी परेशानी का सामना करना पड़ता होगा. जिस पर पीएमओ ने कहा कि लिखित में दो मैं बाहर की दवा लिखने वालों पर कार्यवाही करता हू खोईवाल ने कहा कि कार्यवाही करना समस्या का समाधान नहीं है जरूरतमंद को समय पर दवा उपलब्ध करवाना ही समाधान है.

आप कैसे भी करके इस गरीब दिव्यांग को उसकी पत्नी के उपचार के लिए दवा उपलब्ध करवाओ. जिस पर पीएमओ न के सिंह द्वारा लिखित में एप्लीकेशन देने के बाद दिव्यांग को निशुल्क प्राइवेट मेडिकल से दवा उपलब्ध करवाई. जिसका भुगतान जिला चिकित्सालय द्वारा किया जाएगा. इस दौरान कई मरीज के परिजनों ने जिला चिकित्सालय में जांचे नहीं करने का भी लगाया आरोप और कहा कि मजबूर होकर प्राइवेट लैब में पैसा देकर हमें जांच कराना पड़ रहा है कहीं ना कहीं चिकित्सालय प्रशासन की मिली भगत से प्राइवेट जांच लैब बूंदी में फल फूल रही है इसी वजह से जिला चिकित्सालय में फ्री जांच व चिरंजीव योजना का भी माखोल उड़ता हुआ नजर आ रहा है.

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