कोटा में दशहरा पर अनोखी परंपरा, यहां रावण दहन से पहले पुतले को मारते हैं पत्थर

भारत विविधताओं से भरा देश है, यहां के लोगो में, संस्कृति और परंपराएं आप साफ-साफ देख सकते हैं। ऐसे में विभिन्न प्रकार और उत्सवों के लिए इसका महत्व है. दशहरा भी भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। रावण दहन का एक अनोखा और ऐसा ही तरीका राजस्थान के कोटा में भी देखने को मिलता है। यहां रावण को जलाने से पहले उसे पत्थरों-से मारा जाता है।

राजस्थान के कोटा में राष्ट्रीय दशहरा मेला शुरू हो गया है और रावण और उसका परिवार पहुंच गया है। इस बार रावण के पुतले की ऊंचाई 75 फीट है और उसके बगल में खड़े मेघनाद और कुंभकरण के पुतले भी 50-50 फीट ऊंचे हैं. जब पुतले तैयार हो गए तो लोग उन्हें देखने के लिए वहाँ जाने लगे। लोग रावण के पुतलों को कंकड़ और पत्थर भी मारने लगे हैं.

मंगलवार को दशहरे के दौरान यहां सुबह से ही लोगों का आना-जाना शुरू हो गया और दूर-दराज के गांवों से लोग कोटा पहुंचे और रावण के दर्शन कर उसे पत्थर मारने की अपनी परंपरा निभाई. माना जाता है कि रावण को पत्थर मारने से पेट की बीमारियों से राहत मिलती है। वहीं राजपरिवार के इज्यराज सिंह इस परंपरा का पालन करते हुए रावण की नाभि में तीर मारेंगे और साथ ही रावण का दहन किया जाएगा. इस अनोखी परंपरा का पालन करते हुए रावण दहन भी बड़े उत्साह से किया जाता है। हालांकि, इस बार पर्यावरण की सुरक्षा के चलते ग्रीन लाइटिंग लगाई गई है और यह नजारा यहां आकर्षक होगा। शाम को हजारों लोग यहां आएंगे और रावण के अहंकार का अंत देखेंगे। इसमें मेला शुरू होकर दिवाली के एक दिन पहले तक चलेगा।

 

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