बारां-अटरू से भाजपा प्रत्याशी के नाम पर फिर से मंथन….

-प्रदीप मेरोठा भाजपा से प्रबल दावेदार, प्रत्याशी सारिका के नाम पर असमंजस…

बारां 4 नवम्बर। बारां अटरू विधानसभा से भाजपा द्वारा घोषित उम्मीदवार पूर्व जिला प्रमुख सारिका सिंह चौहान के टिकट पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। सूत्रों के अनुसार सारिका के जाति प्रमाण पत्र को लेकर बनी असमंजस की स्थिति के बाद शनिवार को दिनभर शहर में चर्चाओं का बाजार गर्म रहा। जिसके चलते अब तक टिकट की दौड़ में लगे रहे लगभग एक दर्जन से अधिक दावेदारों में फिर से भाजपा प्रत्याशी बनने की होड़ लग गई। किसी के ‘बिल्ली के भाग्य से छीका टूट जाए‘… वाली कहावत चरितार्थ होने की आस में प्रत्याशियों ने फिर से तिकड़म और ‘एप्रोच‘ लगाना शुरू कर दिया है। नामांकन की अंतिम तिथि नजदीक होने के कारण वे एड़ी चौटी का जोर लगाकर सिंबल अपने नाम करने की जुगत में लग गए हैं। खेर जो भी हो पार्टी भी इस मामले में गंभीरता से चिंतन-मनन में जुट गई है। तीन समूह में बिखरी पार्टी के लिए किसी एक नाम पर सर्वसम्मति बन पाना मुश्किल हो रहा है। फिर भी पार्टी जनभावना को ध्यान में रखते हुए कोई निर्णय जरूर करेगी। इस बार पार्टी नए चेहरे को भी मौका दे सकती है। यहां चर्चा में जो नाम चर्चा में बने हुए हैं, उनमें सबसे प्रमुख नाम पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष प्रदीप मेरोठा का भी लिया जा रहा है। सूत्रों ने तो यहां तक दावा किया है कि मेरोठा ही अब सबसे उपयुक्त उम्मीदवार साबित हो सकते हैं। जनता भी यही चाहती है कि नया माहौल तैयार हो, नया विधायक मिले। जो सबके हित की बात करे। सभी वर्गों को साथ लेकर चले।

प्रदीप मेरोठा की दावेदारी प्रबल-
अब तक जो नाम चर्चा में आए हैं, उनमें यदि कोई है, तो वह है पूर्व छात्र संघ प्रदीप मेरोठा का नाम। अन्य नामों में स्थानीय भाजपा नेता अलग-थलग हो जाते हैं। छात्र राजनीति से मुखर, युवा होने के साथ ही भाजपा व संघ में मजबूत पकड़ रखने वाले प्रत्याशी के रूप में प्रदीप मेरोठा सब उम्मीदवारों पर भारी पड़ते दिखाई देते हैं। अनुसूचित जाति के उम्मीदवार होने के बावजूद मेरोठा को सभी जाति वर्ग के लोगों का मत एवं समर्थन हांसिल है।

उनकी कार्यशैली का उदाहरण मोईकलां ग्राम पंचायत है। जहां हुए अभूतपूर्व विकास कार्यों को मिसाल के रूप में देखा जा सकता है। उन्होंने सरपंच रहते हुए एक छोटे से गांव को चमन कर चर्चा में ला दिया है। रचनात्मक सोच और जनहित के कार्य के प्रति उनके लगाव व मेहनत का ही प्रतिफल है कि बहुत कम समय में वे क्षेत्र के लोगों के चहेते बन गए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी रहे उनके पिता पूर्व जिला परिषद सदस्य बाबूलाल मेरोठा की विरासत को आगे ले जाने का जज्बा रखते हैं। उन्हें भी पूर्व सीएम राजे का सानिध्य प्राप्त है। यदि पार्टी मौका देती है, वे निश्चित ही पार्टी और आमजन की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए जी-जान लगा देंगे।

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