भाई की शहादत के बाद भी हर साल ससुराल से मायके आकर बहन उनकी प्रतिमा को भाईदूज पर जमाती है और बांधती है रक्षासूत्र

शाहपुरा न्यूज – अक्सर हम जिंदगी के साथ तो बहुत से रिश्ते निभाते हैं, लेकिन मौत के बाद सब पीछे छूट जाता है। पर कभी ऐसा भी होता है, जब भावनाओं के आगे तमाम बंदिशें बेमानी साबित हो जाती है। एक ऐसी ही बहने है जो अपने भाई की शहादत के बाद भी पिछले 11 सालों से भाईदूज पर उनकी प्रतिमा को जिमाती और कलाई पर भैयादूज पर राखी बांध रही है। वह अपनी ससुराल कोलाकाबास, कंवरपुरा से 50 किमी दूर रामपुरा सिर्फ इसलिए आती है कि उनके शहीद भाई की कलाई सूनी न रह जाए। सामाजिक कार्यकर्ता डॉ पूरणमल बुनकर ने बताया कि शहीद मुकेश कुमार बुनकर कोबरा बटालियन के जांबाज सिपाही थे, जिन्होंने 2012 में झारखंड के चतरा जिले के जूरी रापदा गांव में माओवादियों के खिलाफ ऑपरेशन का संचालन किया था।

अग्रिम पंक्ति में लड़ते हुए माओवादी की गोली से जख्मी होने के बावजूद अंतिम क्षण तक कई माओवादियों को मौत के घाट उतारकर उनका रास्ता रोके रखा, बाद में इलाज के दौरान मुकेश कुमार शहीद हो गए। शहीद मुकेश की इस वीरता अदम्य साहस पर राष्ट्रपति द्वारा मरणोपरान्त पुलिस वीरता पदक से सम्मानित किया। अपने छोटे भाई को खोने के बाद बहन हंसादेवी, गोठी देवी, बबली, देवी आज भी उसे अपने नजदीक ही मानती है। रामपुरा में स्थापित भाई की प्रतिमा में उसकी कलाई पर हर साल राखी बांध रहीं है। वे भैयादूज ही नहीं बल्कि, दीपावली, होली जैसे सभी त्यौहार प्रतिमा के साथ आकर मनाती है। शहीद भाई के प्रति बहनों के ऐसे लगाव को देख सभी के आंखों से आंसू छलक उठते है। बहनों ने बताया कि प्रतिमा के पास आने पर आज भी उनके करीब होने का अहसास होता है।

मेरे भाई की वीर गति पर हमे गर्व है

भाई की यादों को याद करते हुए अपने भाई के साथ बिताए पलों को याद कर बहनों के आंसू छलक आए। बहनों ने बताया कि हम सभी भाई बहन जब छोटे थे,आपस मे मिलजुल कर रहते थे। मैं बड़ी जरूर थी लेकिन मेरा भाई वह फर्ज अदा करता था। वह हमसे छोटा था इसलिए भैयादूज में हम उसे उपहार देती थी। आज उसकी कलाई पर राखी सजाती हूं, लेकिन उपहार नहीं दे पाती इस बात का गम रहता है। बहनों ने बताया कि भाई की कमी हमेशा महसूस होती है, लेकिन गर्व होता है। उसने देश की रक्षा करते हुए वीर गति हासिल की है। इस दौरान शहीद पिता रामसहाय बुनकर, माता कमलादेवी, वीरांगना बीना देवी, पुत्र ब्रजेश कुमार भाई विकास, बाबूलाल, बेटी मोनिका, ममता, ऋषिका, दीपशिखा, निकिता वर्मा, खुशी, आशीष, संदीप परिवारजनों सहित ग्रामीण उपस्थित थे।

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