जयपुर शहर के खूबसूरत गोविंददेवजी मंदिर से लेकर हवामहल तक, जयपुर का चरित्र, हवामहल मतदाताओं की संख्या इकट्ठा करता है। यह सीट लंबे समय तक बीजेपी का गढ़ रही है, लेकिन 2003 के बाद इस सीट पर एक बार बीजेपी और एक बार कांग्रेस उम्मीदवार ने जीत हासिल की है. खास बात यह है कि पिछले चार चुनावों में पार्टी कांग्रेस के हर सदस्य ने जीत हासिल की और राज्य में उसी पार्टी की सरकार बनी. शायद इसीलिए इस बार दोनों ही राजनीतिक दलों के कद्दावर नेताओं का फोकस इस सीट पर है. इस विधानसभा के 2 लाख 54 हजार 373 मतदाताओं में से करीब 95 हजार मतदाता अल्पसंख्यक हैं. इसके बावजूद यहां के दो राजनीतिक नेता ब्राह्मण उम्मीदवारों पर दांव लगा रहे हैं. इस बार बीजेपी ने बालमुकुंद आचार्य और कांग्रेस ने आरआर तिवारी को मैदान में उतारा है.
हवामहल की स्थिति को लेकर प्रत्याशी बालमुकुंद आचार्य ने कहा कि उन्हें बहुसंख्यक का ही नहीं बल्कि अल्पसंख्यकों का भी समर्थन है, लेकिन खास बात यह है कि खुद सीएम अशोक गहलोत आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी पप्पू कुरैशी के दर पर उनको मनाने गए. यहां से यह विश्लेषण किया जा सकता है कि कांग्रेस के प्रतिनिधि की स्थिति क्या है और भगवा समूह कैसे बढ़त हासिल कर रहा है। सीएम अशोक गहलोत ने पप्पू कुरेशी को मदरसों और मस्जिदों के लिए सुविधाएं, वक्फ सहायता, कब्रिस्तान के लिए जमीन और दुकानें उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया, तब जाकर पप्पू कुरैशी कांग्रेस के समर्थन में बैठे हैं. इससे साफ पता चलता है कि कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति करने में लगी है, इनकी क्या सोच है, क्या चरित्र है.
इस बीच बीजेपी द्वारा खेले गए हिंदुत्व कार्ड पर हवामहल नेता आरआर तिवारी ने कहा कि वह भी हिंदू हैं. वह श्याम बाबा मंदिर के पुजारी हैं, जो लगभग ढाई सौ वर्षों से वो पुजारी है। देश में हिंदुत्व कार्ड का ठेका बीजेपी को किसने दे रखा है. देश में 80 फीसदी हिंदू है तो हिंदुत्व है. दूसरी पार्टी यदि हिंदू को उतारती है तो क्या वो विधर्मी या मुस्लिम है। बहरहाल, दोनों ही राजनीतिक दलों ने इस बार नए हिंदुत्व पर दांव खेला है, जिनके लिए 25 नवंबर को हवामहल विधानसभा क्षेत्र के मतदाता वोट डालते हुए उनके भाग्य का फैसला करेंगे.