राजस्थान में चुनाव के बाद राजनीतिक पार्टियां नतीजों का इंतजार कर रही हैं. इस बीच चुनाव आयोग की मानें तो इस बार मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर जमकर मतदान हुआ है. बीजेपी ने इन सीटों के लिए खास रणनीति बनाई थी और चुनाव प्रचार के दौरान हिंदुत्व और कन्हैयालाल का मुद्दा जोर-शोर से उठाया. राज्य में 10-12 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोट निर्णायक स्थिति में है।
इन सीटों में किशनपोल, हवामहल, आदर्शनगर, डीडवाना, मालपुरा और मांडल में इस बार मतदान प्रतिशत दो से बढ़कर पांच फीसदी हो गया. इस बार बीजेपी ने मुस्लिम बाहुल्य तिजारा सीट से बाबा बालकनाथ, हवामहल सीट से बालमुकुंद आचार्य और पोकरण सीट से महंत प्रतापुरी को टिकट दिया था।
पोकरण-बीजेपी ने इस पद के लिए महंत प्रतापपुरी महाराज को दोबारा उम्मीदवार बनाया, हालांकि कांग्रेस ने सालेह मोहम्मद को अपना उम्मीदवार बनाया. इस समय इस सीट पर 87.79 फीसदी वोट पड़े. इसके अलावा 2018 में यहां 87.50 फीसदी वोट पड़े थे. ऐसे में अगर राजपूत और एससी वोटर बीजेपी के पक्ष में आ जाते हैं तो इस स्थिति में बीजेपी की जीत तय है.
तिजारा- इस बार बीजेपी ने अलवर सांसद बाबा बालकनाथ को मैदान में उतारा है। हालांकि कांग्रेस ने इमरान खान को टिकट दिया. इस समय इस सीट पर 85.15 फीसदी वोट पड़े. जबकि 2018 में यहां 82.08 फीसदी वोट दर्ज किए गए थे. इस क्षेत्र में यादव, गुर्जर और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अधिक है.
हवामहल- जयपुर परकोटे की सीट जीतने के लिए बीजेपी ने इस बार यहां पीएम मोदी को दोबारा चुना है. पीएम मोदी ने यहां लंबी पदयात्रा कर बीजेपी के लिए माहौल बदलने की पूरी कोशिश की. 2013 में जब बीजेपी को बहुमत मिला तो वहां भी यही स्थिति बनी. इस बार बीजेपी ने बाबा बालमुकुंद आचार्य और कांग्रेस ने आरआर तिवारी को मैदान में उतारा है. 2018 में इस सीट पर 72.66 फीसदी वोट पड़े थे, लेकिन इस बार 76.02 फीसदी है.
इस स्थिति को लेकर किशनपोल-कांग्रेस ने सांसद अमीन कागजी से बात की. इस स्थिति को बीजेपी के बचाव के तौर पर देखा जा रहा है. पिछली बार यहां कांग्रेस की जीत हुई थी. इस स्थिति से उबरने के लिए इस बार बीजेपी ने यहां पीएम मोदी को कड़ी फटकार लगाई है. 2018 में यहां 71.78 फीसदी वोट पड़े थे. इस बार बीजेपी ने चंद्रमोहन बटवाड़ा का ख्याल रखा.