3 दिसंबर को मतगणना की पुष्टि के बाद यह साफ हो गया कि भारतीय जनता पार्टी राजस्थान की सरकार बनाएगी. लेकिन विभाग का मुखिया कौन होगा इसे लेकर अभी भी विवाद बना हुआ है. वसुंधरा राजे, गजेंद्र सिंह शेखावत, बाबा बालकनाथ, दीया कुमारी समेत कई नामों पर विचार किया जा रहा है.
आपको बता दें कि कुछ दिग्गज दिल्ली पर फोकस कर रहे हैं तो कुछ राजस्थान में विधायकों से समर्थन जुटा रहे हैं। मंगलवार शाम को राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मौजूदा महारथियों को लेकर प्रधानमंत्री मोदी, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह के बीच लंबी बैठक हुई. माना जा रहा है कि इसी बैठक में नाम चुना गया, जो शनिवार या रविवार को अध्यक्षों की बैठक के बाद तय किया जाएगा.
दूसरी ओर कांग्रेस में उथल-पुथल का दौर भी चल रहा था. राजस्थान में एक राजनीतिक पार्टी की जीत के बाद अब सवाल यह है कि क्या सत्ता परिवर्तन होगा? यह देखना दिलचस्प होगा कि अशोक गहलोत या सचिन पायलट में से कौन प्रतिरोध का अगुआ बनेगा या पार्टी कोई आधुनिक चेहरा देगी. आइए आपको बताते हैं कि राजस्थान के सियासी गलियारे में क्या हो रहा है. वहीं, राजस्थान में पार्टी की जीत हासिल करने वाले विधायक राज्यवर्धन सिंह राठौड़, दीया कुमारी और किरोड़ीलाल मीना ने इस्तीफा दे दिया है।
राजस्थान बीजेपी में आमतौर पर यह पहली बार है कि मुख्यमंत्री पद को लेकर असमंजस की स्थिति है, ऐसा हाल ही में नहीं हुआ है. वसुंधरा राजे पहले ही 2003, 2008, 2013 और 2018 के विधानसभा चुनावों में सीएम उम्मीदवार घोषित हो चुकी थी, इसलिए कोई भ्रम नहीं था। 2003 और 2013 में वसुंधरा राजे का पहले से ही सीएम बनना तय था, इसलिए नतीजे आने के बाद ही सीएम की शपथ का टाइम तय हो गया था, विधायक दल की बैठक में नाम की घोषणा केवल औपचारिकता ही रहती थी। दोनों ही बार वसुंधरा राजे ने 13 दिसंबर को शपथ ली थी।