कोटा , 03 मई
संवाददाता शिवकुमार शर्मा
कोटा शहर में संचालित कोचिंग संस्थानों में पढ़ने वाले बच्चों को तनाव से बाहर निकालते हुए उनमें सकारात्मकता लाने में कोचिंग फैकल्टी, मेंटोर्स, हॉस्टल संचालकों, वार्डन एवं पुलिस कर्मियों की भूमिका को जिला कलक्टर ने सराहते हुए उनके इस जज्बे को दिल से सलाम किया। उन्होंने इसी जज्बे को आगे भी कायम रखते हुए कोचिंग स्टूडेंट्स को सकारात्मक माहौल देने की अपील की।
उल्लेखनीय है कि जिला प्रशासन द्वारा शहर में देशभर से आने वाले कोचिंग स्टूडेंट्स को सकारात्मक व सहयोगात्मक माहौल देने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में शुक्रवार शाम को कोचिंग फैकल्टी, मेंटोर, हॉस्टल संचालकों, वार्डन, काउंसलिंग से जुड़े लोगों से जिला कलक्टर ने संवाद के माध्यम से जाना कि कैसे बच्चे के तनाव में होने के बारे में जानकारी मिलने पर समय रहते काउंसलिंग की गई और उसे तनाव से बाहर निकाला गया।
जिला कलक्टर से संवाद के दौरान फैकल्टी, मेंटर्स एवं हॉस्टल संचालकों ने अपने अनुभव बताए कि कैसे उन्होंने बच्चे के मन में चल रहे भावों को पहचाना और उन्हें सही गाईडेंस देकर तनाव से बाहर निकालने में मदद की। जिला कलक्टर ने उन सभी लोगों की सराहना की जिन्होंने अपने विशेष प्रयासों से उन बच्चों की जान बचाने में मदद की।
जिला प्रशासन को आया पिता का मेल
कोचिंग संस्थानों में पढ़ रहे बच्चों को लेकर कोटा जिला प्रशासन की सजगता का एक उदाहरण 2 मई को नजर आया जब एक बच्ची के पिता ने रात 9 बजे जिला कलक्टर को ई-मेल के माध्यम से बच्ची के डिप्रेशन में रहने के बारे में जानकारी दी। जिला प्रशासन ने तुरंत बच्ची से बात की और बच्ची के हॉस्टल जाकर उसकी काउंसलिंग करवाई गई और उसके माता-पिता को कोटा बुलाया गया है। इसी तरह के घटना 2 मई को सुबह हुई थी जब जिला कलक्टर के ई-मेल पर एक बच्चे ने अपने डिप्रेशन में होने की जानकारी दी। ई-मेल मिलते ही बच्चे के बारे में पता किया गया तो उसके सीकर में होने की जानकारी मिली। जिस पर कोटा कलक्टर ने सीकर कलक्टर से बात कर वहां उस बच्चे की काउंसलिंग करवाई और उसके माता-पिता को सूचना दी।
संवाद के दौरान एक हॉस्टल संचालक ने बताया कि हॉस्टल के खाने को घटिया बताते हुए गुस्सा करने वाले एक बच्चे की गतिविधियों पर लगातार ध्यान रखते हुए उसके तनाव में होने का पता चलने पर बच्चे की काउंसलिंग करवाई गई।
कुन्हाड़ी थाना में कार्यरत् सिपाही महेन्द्र सिंह ने बताया कि बच्चे के हॉस्टल या कोचिंग संस्थान में नहीं पहुंचने की खबर मिलते ही कैसे तत्परता से मोबाईल लोकेशन ट्रेस करते हुए तकनीकी सर्विलांस के माध्यम से बच्चे को ढूंढा जाता है। 21 फरवरी को हुई एक घटना के अनुभव बताते हुए उन्होंने कहा कि एक बच्चे की मिसिंग कम्पलेन मिलने के बाद रेलवे स्टेशन के सीसीटीवी फूटेज खंगाले गए और उस बच्चे के अयोध्या की ट्रेन में बैठने, जोनपुर फिर कोलकाता फिर जलपाईगुड़ी जाने की पूरी गतिविधि को ट्रेस करते हुए उसे जलपाईगुडी में उसके रिश्तेदार को सूचना देकर सुपुर्द किया गया।
एक कोचिंग संस्थान में सीनियर फैकल्टी पर कार्यरत् दिनेश सिंह ने बताया कि उनके संस्थान में अपना बेटा प्रोग्राम चलाकर 15-15 बच्चों की जिम्मेदारी फैकल्टी को दी गई है। ताकि उनसे लगातार संवाद कायम रखा जा सके।
जिला कलक्टर ने कोचिंग संस्थानों को भी निर्देश दिए कि उनकी फैकल्टी भी सप्ताह में एक बार हॉस्टल जाकर देखें कि वहां बच्चे कैसे रह रहे हैं और वे किसी तरह के तनाव में तो नहीं है।
जिला कलक्टर ने सभी हॉस्टल संचालकों, फैकल्टी, मेंटोर्स एवं अन्य लोगों से आग्रह किया कि वे बच्चे के व्यवहार में आए परिवर्तन पर ध्यान देते हुए संबंधित कोचिंग संस्थान को इसकी जानकारी दें ताकि बच्चे की काउंसलिंग हो सके और उसके मन को समझा जा सके।
जिला प्रशासन की नोडल कॉर्डिनेटर सुनीता डागा ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा दी जा रही गेट कीपर ट्रेनिंग का सकारात्मक असर नजर आया है और बच्चों की काउंसलिंग होने से उनमें तनाव कम करने में मदद मिली है।