ठाकुर केशव देव जी 1968 के मुकदमे में हुए राजीनामा में नहीं थे पार्टी

मथुरा , उत्तर प्रदेश 27 मई।

संवाददाता दीपचंद शर्मा

उपाध्यक्ष हिंदू महासभा पंडित संजय हरियाणा ने कहा 1968 में होने वाले राजीनामा का वर्तमान हाई कोर्ट में चल रहे ,मुकदमा में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।।इस पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा ।कि 1968 के मुकदमे में मंदिर ट्रस्ट की ओर से कोई राजीनामा नहीं किया गया था ना ही उसमें ठाकुर केशव देव जी, जो नाबालिक की कैटेगरी में आते हैं। उनको पार्टी नहीं बनाया गया । और जिस कथित पुजारी ने वह राजीनामा किया था उनको ट्रस्ट की तरफ से राजीनामा करने का कोई अधिकार नहीं था। क्योंकि मंदिर बनने के उपरांत ट्रस्ट को मंदिर के इंतजाम करने को मंदिर दिया गया था। ट्रस्ट के सभी ट्रस्टीयो को केवल देखरेख करने का अधिकार है। वह मंदिर की संपत्ति को किसी को बेच या हस्तांतरण नहीं कर सकते थे । तो जब ट्रस्टी को कोई अधिकार नहीं था तो एक पुजारी कैसे संपत्ति को अवैध कब्जैदारो को राजीनामा करके दे सकता है ।
पंडित संजय हरियाणा ने यह भी कहा कि निश्चित तौर पर उस राजीनामें का प्रभाव इन उच्च न्यायालय इलाहाबाद गए मुकदमा पर नहीं पड़ेगा और 1991 वरशिप एक्ट भी यहां लागू नहीं होगा।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय मुकदमे मथुरा से जो गए हैं वह शीघ्र निस्तारित होकर ठाकुर जी के हित में फैसला आएगा और अवैध ईदगाह को न्यायालय के आदेश से हटकर एक भव्य और दिव्य मंदिर का निर्माण बहुत जल्द होगा। ऐसी आशा सभी सनातनियों और अखिल भारत हिंदू महासभा को है । अखिल भारत हिंदू महासभा पहले राम जन्म भूमि मुकदमे विवाद को लड़कर जीत चुका है।और काशी के मुकदमे के अलावा श्री कृष्ण जन्म भूमि के मुकदमे को भी लड़ रही है । निश्चित रूप से हर मुकदमे को पूर्व की भांति अखिल भारत हिंदू महासभा टाइटल के आधार पर जीतेगी । क्योंकि 1944 में यह संपत्ति राजा पटनीमल के वंशजों से खरीदी हुई जगह है । 13.37 एकड़ के कुछ हिस्से पर ही अवैध ईदगाह बनी है । जो कभी सरकारी रिकॉर्ड में मलिक के तौर पर दर्ज भी नहीं है। आज भी सभी सरकारी रिकॉर्ड में उल्लेख श्री कृष्ण जन्म भूमि ट्रस्ट का ही होता रहा है व चला आता है और श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ही मलिक आज भी भी चला आता है । उन्होंने यह भी कहा कि अवैध कब्जा हटाकर मुस्लिम वर्ग को एक मिसाल कायम करनी चाहिए और मंदिर के लिए भूमि को जो अवैध कब्जे के रूप में है । वह वापस कर देनी चाहिए जिससे गंगा जमुना तहजीब का एक उदाहरण प्रस्तुत करने में मुस्लिम समुदाय को मदद मिलेगी और देश में भाईचारा कायम होगा।

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