ब्यूरो चीफ दीपचंद शर्मा, डीग भरतपुर
मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार भजनलाल शर्मा डीग एवं प्रदेश के आमजन की समस्याओं को लेकर बेहद संवेदनशील है। शर्मा निरंतर जिले में पेयजल की समस्या को लेकर जागरूक रहते है एवं नागरिकों की समस्याओं का त्वरित निस्तारण करने के लिए अधिकारियों और विभागों को समय-समय पर आवश्यक दिशा निर्देश प्रदान करते है । मुख्यमंत्री ने पदभार ग्रहण करने के पश्चात महज डेढ़ माह में ही ईआरसीपी का वादा तत्परता से पूरा करने का कार्य किया है। पूर्वी राजस्थान के जन और जमीन की प्यास बुझाने वाले एकीकृत ईआरसीपी परियोजना के एमओयू के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने आमजन के दिलों में एक खास जगह बना ली है। इसी का कारण है कि जनसमूह मुख्यमंत्री को ‘राजस्थान का भगीरथ’ बताते हुए उनके समर्थन में नारे लगाते हैं । देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र और प्रदेश की डबल इंजन सरकारें जनता से किए वादों को पूरा करने में तत्परता से लगी हुई है। शर्मा ने प्रदेश को ईआरसीपी की सौगात देने का वादा किया था और सरकार बनने के डेढ़ महीने के अन्दर ही ईआरसीपी परियोजना के लिए केन्द्र सरकार, मध्यप्रदेश सरकार के साथ बात कर एमओयू किया। शर्मा ने धरातल पर तेजी से काम करते हुए इस परियोजना को पांच साल में पूरा करने का लक्ष्य तय किया है। पूर्ववर्ती सरकार ने ईआरसीपी को लटकाने-अटकाने और भटकाने का काम किया। पूर्ववर्ती सरकार ने ईआरसीपी का बजट घोषणाओं में बार-बार जिक्र जरूर किया लेकिन इसके समाधान को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए । ईआरसीपी परियोजना से पूर्वी राजस्थान के किसानों, मातृ शक्ति व आमजन के जीवन में सुखद बदलाव आएगा और गांव, खेत तथा घरों तक पर्याप्त जल की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। ईआरसीपी की डीपीआर में सम्मिलित 26 बांधों के अलावा आगे चलकर इसमें 122 बांध और जोड़ने की योजना है। वर्ष 2013 से 2018 में राज्य सरकार ने जल संरक्षण एवं संग्रहण को प्रोत्साहन देने के लिए मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान की शुरूआत की थी। इसे आगे बढ़ाते हुए बजट में 11 हजार 200 करोड़ रुपये का प्रावधान करते हुए मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान 2.0 शुरू किया है। इसके तहत आगामी 4 वर्षों में 20 हजार गांवों में 5 लाख जल संग्रहण ढांचे बनाए जाएंगे । उल्लेखनीय है कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की दूरदर्शी सोच के अनुरूप मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की केन-बेतवा नदी लिंक परियोजना के बाद देश की यह दूसरी नदी लिंक परियोजना है। इसमें पार्वती-कालीसिंध-चम्बल नदी के साथ ईआरसीपी (पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना) को एकीकृत करते हुए लिंक किया जाएगा। इस परियोजना पर राजस्थान में करीब 45 हजार करोड़ और मध्यप्रदेश में 30 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। एकीकृत ईआरसीपी आजादी के बाद प्रदेश की सबसे बड़ी नहर परियोजना होगी जिसमें प्रदेश के नये जिलों सहित कुल 21 जिलों की साढ़े 3 करोड़ आबादी को अगले 5 दशक तक पेयजल उपलब्ध हो सकेगा। साथ ही, इससे प्रदेश के पूर्वी हिस्से में 2 लाख 80 हजार हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई हेतु जल की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। पहले जहां इस परियोजना में केन्द्र से 60 प्रतिशत राशि मिलना ही प्रस्तावित थी। वहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मंशा के अनुरूप अब इस परियोजना में केन्द्र की फडिंग बढ़ाकर 90 प्रतिशत कर दी गई है, जिससे राजस्थान को परियोजना की लागत का मात्र 10 प्रतिशत ही वहन करना पड़ेगा।