बिहार के चर्चित लैंड फॉर जॉब स्कैम (Land for Job Scam) मामले में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेज प्रताप यादव, हेमा यादव और अन्य आरोपियों को बड़ी राहत मिली है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने मंगलवार को ₹50,000 के निजी मुचलके पर उन्हें जमानत दे दी। इस फैसले पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “कानून अपना काम कर रहा है, इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं है।”
क्या है लैंड फॉर जॉब घोटाला?
लैंड फॉर जॉब स्कैम बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री (2004-2009) रहने के दौरान हुए कथित भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है। सीबीआई (CBI) की चार्जशीट के मुताबिक, रेलवे में ग्रुप-D की नौकरियां देने के बदले में उम्मीदवारों से लालू यादव के परिवार के सदस्यों के नाम पर जमीन लिखवाई गई।
चार्जशीट में कुल 78 आरोपियों के नाम शामिल हैं, जिनमें लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव और बेटी मीसा भारती भी हैं।
गिरिराज सिंह का बयान
इस मामले में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा,“सरकार और कानून अपना काम कर रहे हैं। कानून के तहत उन पर केस दर्ज हुआ और अब उन्हें जमानत मिली। इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं है।”
तेज प्रताप और हेमा यादव को मिली राहत
राउज एवेन्यू कोर्ट ने तेज प्रताप यादव, हेमा यादव और अन्य आरोपियों को ₹50,000 के निजी मुचलके पर जमानत दी है। हालांकि, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि मुकदमे की सुनवाई जारी रहेगी और आरोपियों को जांच में सहयोग करना होगा।
सीबीआई के आरोप और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
सीबीआई का दावा है कि इस घोटाले में लालू प्रसाद यादव के परिवार को अवैध रूप से लाभ मिला था। इस बीच, आरजेडी नेताओं ने इस मामले को राजनीतिक साजिश करार दिया है।वहीं, बीजेपी नेताओं ने इसे भ्रष्टाचार का बड़ा उदाहरण बताते हुए लालू परिवार पर निशाना साधा।
आगे क्या होगा?
अब सभी की निगाहें आने वाली अदालती कार्यवाही पर हैं। अगर सीबीआई इस मामले में ठोस सबूत पेश करती है, तो तेज प्रताप यादव और अन्य आरोपियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। वहीं, आरजेडी इस मामले को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकती है।
