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7 दिवसीय पंचकर्म चिकित्सा शिविर के दूसरे दिन आयुर्वेद उपनिदेशक डॉ रमेशचंद जैन ने शिविर का निरीक्षण कर रोगियों से फीडबैक प्राप्त किये

ब्यूरो चीफ़ शिवकुमार शर्मा
बूंदी राजस्थान

बूंदी 25 जून । स्थापना दिवस के अवसर पर बालचंदपाडा स्थित राजकीय जिला आयुर्वेद चिकित्सालय के पंचकर्म विशिष्टता कैंद्र में 24 जून से शुरू हुए 7 दिवसीय पंचकर्म चिकित्सा शिविर के दूसरे दिन आयुर्वेद उपनिदेशक डॉ रमेशचंद जैन ने शिविर का निरीक्षण कर उपचाराधीन रोगियों से फीडबैक प्राप्त किये तथा चिकित्सा प्रभारी & पंचकर्म विशेषज्ञ डॉ सुनील कुशवाह को रोगी सुविधाएं बढ़ाने संबंधी आवश्यक निर्देश दिए। आयुर्वेद उपनिदेशक डॉ रमेशचंद जैन ने बताया कि बूंदी का पंचकर्म विशिष्टता कैंद्र अपनी प्रभावी & गुणवत्तापूर्ण सेवाओं के कारण बड़ी संख्या में दूसरे जिलों & राज्यों के रोगी भी यहां अपना उपचार करवाने पहुंच रहे हैं, इसी के चलते इसने पूरे राजस्थान में पंचकर्म चिकित्सा के मोडल के रूप में पहचान बनाई है। राजस्थान के मुख्य सचिव द्वारा सभी विभागों द्वारा प्रदान की जा रही विशिष्ट गुणवत्तापूर्ण सेवाओं के मानकीकरण के लिए पिछले तीन वर्षों के प्रदर्शन के आधार पर तैयार किये गये केपीआई (की पर्फोर्मेंस इंडिकेटर) में भी बूंदी का पंचकर्म विशिष्टता कैंद्र पूरे राजस्थान में प्रथम रहा है(पूरे राजस्थान का 22% अकेले बूंदी का) ।इसी को ध्यान में रखते हुए केरल की तर्ज पर विश्वस्तरीय पंचकर्म उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के लिए बूंदी जिला कलेक्टर महोदय द्वारा पिछले सप्ताह ही आयुष शासन सचिव को प्रस्ताव तैयार करके भिजवाये गये हैं, इस हेतु मार्च 2021 में गांधी ग्राम, न्यू माटूंडा रोड पर भूमि का आवंटन किया जा चुका है & विधायक कोष से बाउंड्री वॉल का निर्माण भी कराया जा चुका है। शिविर प्रभारी & पंचकर्म विशेषज्ञ डॉ सुनील कुशवाह ने बताया कि शिविर में अब तक राजस्थान के कोटा,बूंदी,टोंक,जयपुर,भीलवाड़ा,अलवर,नागौर,सवाईमाधोपुर,बाड़मेर के अलावा मध्यप्रदेश & दिल्ली के कुल 205 रोगी उपचारित हो चुके हैं। शिविर में मुख्य रूप से जटिल & कष्टसाध्य ओस्टियोआर्थराइटिस, न्यूरेल्जिया,सिएटिका,वेरिकोज वैन,न्यूरोमस्कुलर डिजिज, एवीएन,पैरालाइसिस,फ्रोजन शोल्डर,माइग्रेन , गठिया, कमरदर्द गर्दनदर्द तंत्रिका मस्तिष्कजन्य विकारों से पीड़ित रोगियों का एकांग-सर्वांग अभ्यंग स्वेदन, पीपीएस, बस्तिकर्म, रक्तमोक्षण/सिरावेध,शिरोधारा, जानुधारा, कटिग्रीवाजानूबस्ति, लेप आदि शास्त्रीय उपक्रमों के साथ साथ अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरणों से भी उपचार किया जा रहा है।

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