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नाबालिग को भगा ले जाने और ज्यादति के आरोपी को 10 साल का कठोर कारावास

ब्यूरो चीफ़ शिवकुमार शर्मा
बारां राजस्थान

बारां 5 जुलाई। न्यायालय विशिष्ठ न्यायाधीश लैंगिग अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 तथा बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम 2005 क्रम-1 के विशेष न्यायाधीश हनुमान प्रसाद ने शुक्रवार को नाबालिग को भगा ले जाने और उससे ज्यादति करने के 5 वर्ष पुराने मामले का निस्तारण करते हुए आरोपी को 10 वर्ष के कठोर कारावास व 35 हजार रूपए के अर्थदंड से दंडित किया है।
विशिष्ट लोक अभियोजक पोक्सो क्रम नं. 1 घांसीलाल वर्मा ने बताया कि 23 मई 19 को एक महिला ने कस्बाथाना पुलिस थाने में रिपोर्ट पेश की थी। जिसमें उल्लेख किया गया था कि 2 मई 2019 को दोपहर 12 बजे उसकी 17 वर्षीय पुत्री घर पर ही थी। शादी का समय होने से घर पर लिपाई-पुताई चल रही थी। इस दौरान उसकी पुत्री देवरी गांव में ई-मित्र से छात्रवृत्ति लाने की कहकर चली गई। जो घर पर वापस नहीं आई। उसे आसपास व रिश्तेदारों के यहां तलाश किया, लेकिन कोई पता नहीं चला। इस बीच महिला के दामाद ने बताया कि श्याम पुत्र बनवारी जाटव भी उसके घर पर नहीं है। इसलिए शक है कि पीड़िता को श्याम ले जा सकता है। पीड़िता ने लाल कलर का कुर्ता व काले कलर का पजामा पहन रखा था।
पुलिस ने आरोपी के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर अनुसंधान किया। जिसमें आरोपी श्याम 25 वर्ष पुत्र बनवारी जाटव निवासी केदार कुई थाना केलवाड़ा के खिलाफ धारा 363, 366, 376 एवं 3/4 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षकण अधिनियम 2012 के तहत ज्यादति व अन्य आरोप में दोषी होने पर कोर्ट में आरोपपत्र दाखिल किया। जहां न्यायाधीश हनुमान प्रसाद ने मुकदमें की सुंनवाई के दौरान आरोप सिद्ध होने पर आरोपी श्याम को धारा 363 में 3 वर्ष का कठोर कारावास एवं 5 हजार रूपए के अर्थदंड से दंडित किया। वहीं अदम अदायगी अर्थदंड, आरोपी 3 माह का साधारण कारावास अलग से भुगतेगा।
इसी तरह धारा 366 के तहत आरोपी को 5 वर्ष का कठोर कारावास व 10 हजार रूपए अर्थदंड की सजा दी गई है। इसमें अदम अदायगी अर्थदंड, आरोपी 6 माह का साधारण कारावास का पृथक से भुगतेगा। इसी तरह पोक्सो एक्ट में आरोपी को 10 वर्ष का कठोर कारावास व 20 हजार रूपए के अर्थदंड से दंडित किया गया है। जबकि अदम अदायगी अर्थदंड, आरोपी एक वर्ष का साधारण कारावास अलग से भुगतेगा।
आरोपी की सभी मूल सजाएं साथ-साथ चलेंगी। इस प्रकरण में आरोपी द्वारा पूर्व में पुलिस व न्यायिक अभिरक्षा में बिताई गई अवधि नियमानुसार दी गई मूल सजा में से समायोजित कर दी जाएगी। साथ ही न्यायाधीश हनुमान प्रसाद ने पीड़िता के स्वयं पक्षद्रोही होने पर प्रतिकर राशि दिलाए जाने की अनुशंषा नहीं की है।

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