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मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की दूरदर्शी सोच, एक पेड़ मां के नाम अभियान

संवाददाता दिनेश जाखड़

झुंझुनूं, 9 जुलाई।

ग्लोबल वार्मिंग से मिल सकेगी निजात

पृथ्वी के बढ़ते तापमान को हम सब महसूस कर पा रहे हैं। कुछ वर्षों पहले तक जहां समाचार-पत्रों व वैज्ञानिक रिपोर्ट्स में ही पढ़ते थे कि पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है, वही अब स्वाभाविक रूप से महसूस कर पा रहे हैं। इस वर्ष प्रदेश के तकरीबन सभी इलाकों में रिकॉर्डतोड़ गर्मी रही। गर्मी बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है हमारी आधुनिक जीवनशैली के चलते पर्यावरण संरक्षण से दूरी बना लेना। प्रदेश के मुखिया एवं मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने यह देखा कि प्रदेश को आगे ऐसी भीषण गर्मी नहीं झेलनी पड़े, इसके लिए पौधारोपण ही एकमात्र व सर्वश्रेष्ठ उपाय है। अपनी इसी दूरदर्शी सोच के चलते उन्होंने प्रदेश वासियों से ‘एक पेड़ मां के नाम’ लगाने की अपील की है। दरअसल पेड़ प्रकाश संश्लेषण व वाष्पीकरण के जरिए वातावरण मे नमी बनाए रखने का महत्वपूर्ण कारक है। जब इस सीजन में लगाए हुए पौधे, पेड़ का रूप धारण करेंगे, तो निश्चित रूप से वे प्रदेश में न केवल गर्मी को कम करेंगे, बल्कि छाया, फल, फूल इत्यादि भी प्रदान करेंगे।

झुंझुनूं की बात करें तो जिला कलक्टर चिन्मयी गोपाल भी मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की इस पहल को जिले में मुकाम तक पहुंचाने के लिए मुस्तैदी से मॉनिटरिंग कर रही हैं। मानसून की बारिश के बाद उन्होंने सभी विभागों को टारगेट दिए हैं कि राजकीय कार्यालयों में तय संख्या में पौधारोपण कर संबंधित कर्मचारियों व अधिकारियों को पौधों के पेड़ बनने तक सारसंभाल का जिम्मा दिया जाए। उद्यानिकी के सहायक निदेशक उत्तम सिंह सिलायच ने बताया कि इस मौसम में पौधारोपण सर्वोत्तम है। मानसून की बरसात के बाद प्राकृतिक रूप से धरती व वातावरण में पौधों की वृद्धि के लायक पोषक तत्व बढ़ जाते हैं, जिससे पौधों के पेड़ बनने की संभावना अधिक हो जाती है।

दरअसल हमारे इंसान शरीर को जन्म देने वाली मां के जैसे ही पृथ्वी भी हमारी माता की तरह ही हमारा पालन पोषण करती है और मानव सभ्यता व जीव जगत को जन्म देने वाली मां ही है। हमारा फर्ज बनता है कि हम स्वयं, पर्यावरण और प्रदेश के भले के लिए मुख्यमंत्री की अपील का समर्थन कर अधिक से अधिक पौधारोपण कर उनकी सारसंभाल करें, ताकि आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित जीवन व विरासत सुपुर्द कर सकें।

फैक्ट फाईल-

प्रदेश में 7 करोड़ पौधों का वितरण व रोपण किया जा रहा है।
20 नगर वन एवं 33 लवकुश वाटिका विकसित की जा रही हैं।
80 हजार हैक्टेयर वन क्षेत्र पर वृक्षारोपण किया जा रहा है इस मानसून सीजन में।

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