बारां 26 सितम्बर। नगर परिषद द्वारा डोल मेले में किए गए नवाचार ने इस बार मेले को अलग ही भव्यता प्रदान की है। तालाब के सौंदर्यीकरण के साथ ही पहली बार चलाई जा रही बोट लोगों को लुभा रही है। वहीं रात्रि में तालाब के पानी में झिलमिलाती दूधिया व रंगीन रोशनी आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। शहरवासियों के लिए मनिहारा धाम के बाद डोल तालाब अब सैर सपाटे का अच्छा स्थल साबित होने जा रहा है। यदि इसमें बोट का संचालन स्थाई रूप से जारी रहे तो यहां वर्षभर चहल-पहल बनी रहेगी। साथ ही नगर परिषद के लिए आय का एक अतिरिक्त साधन हो जाएगा। जब यहां से आय होने लगेगी, तो तालाब के सौंदर्यीकरण का नियमित रूप से रखरखाव व संरक्षण भी होता रहेगा।
तालाब में मोटरबोट सहित 9 बोट का हो रहा संचालन-
बोट ऑपरेटर सुरेंद्र कुमार ने बताया कि कोटा में बोट का संचालन करने वाली फर्म द्वारा यहां भी बोट का संचालन किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार नगर परिषद ने नीलामी प्रक्रिया के तहत बोट संचालन के लिए लगभग 4 लाख में टेंडर दिया है। एक इंजन वाली बोट सहित 9 बोट तालाब में संचालित हो रही है। जिनमें 4 बोट में 2-2 जने और 4 में 4-4 व्यक्ति एक बार में पानी की सैर कर सकते हैं। ये 8 बोट पैडल वाली हैं। जिसमें बोट सवार को साइकिल की तरह स्वयं पैडल मारने होते हैं। जबकि मोटर वाली बोट में एक बार में 12 जनों के बैठने की क्षमता है। पैडल वाली बोट में एक व्यक्ति का किराया 50 रूपए व डीजल से चलने वाली स्पीड मोटरबोट का किराया 70 रूपए प्रतिव्यक्ति है। वहीं अभिभावक के साथ आने वाले पांच वर्ष के तक बच्चों को निशुल्क रखा गया है। पैडल बोट का पानी में चलने का समय 10 से 15 मिनट और स्पीड मोटरबोट का 15 से 20 मिनट का समय निर्धारित किया गया है। प्रतिदिन मोटरबोट में 2 हजार रूपए का डीजल जल जाता है। वहीं 10 जनों के स्टाफ का मानदेय अलग है।
शुरूआत में कम समय देने से आ रही थी दिक्कत-
मेले के शुरूआती 4-5 दिन तक बोट का संचालन शाम को सूर्यास्त का समय होते ही पुलिस द्वारा रोक दिया जाता था। जिससे ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले मेलार्थियों को निराश लौटना पड़ता था। वहीं स्टाफ व बोट संचालन का खर्चा तक निकालना मुश्किल हो रहा था। इस समस्या से मेलाध्यक्ष योगेंद्र मेहता को भी अवगत कराया गया। जिन्होंने जिला प्रशासन से अनुरोध कर कुछ शर्तां के साथ संचालन अवधि में छूट दिलाई। इससे अब देर रात तक लोग तालाब में ‘नौकायन‘ का लुत्फ उठा पा रहे हैं।
एक्सपर्ट स्टाफ के साथ लाइफ जैकेट की है सुरक्षा-
बोट संचालन टीम के भूपेंद्र मीणा ने बताया कि सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। प्रशिक्षित स्टाफ तैनात है। साथ ही बोट में सवार होने से पहले लाइफ जैकेट पहना दी जाती है। जिससे तालाब में आगे व गहराई में जाने पर कोई खतरा नहीं रहता। किसी प्रकार की कोई घटना होती है, तो रेस्क्यू करने के लिए लाइफ गार्ड के रूप में ट्रेंड व्यक्ति व एक रेस्क्यू बोट हर समय तैयार रहती है। वैसे भी तालाब की पाल पर तारबंदी व सुरक्षा पैनल लगाया हुआ है।
जटिल है लाइसेंस प्रक्रिया-
बोट संचालन के लिए लाइसेंस की प्रक्रिया जटिल है। आरटीओ लाइसेंस के लिए भारी वाहन की तरह सभी प्रक्रियाएं पूरी करवाने के बाद ही स्वीकृति प्रदान करता है। लेकिन अपने अधिकार क्षेत्र में नहीं होने के बावजूद भी पुलिस हस्तक्षेप करती है। समय बढ़ाने के लिए जिला कलक्टर को प्रार्थना पत्र दे दिया था। जिस पर स़्वीकृति मिलने पर ही समय बढ़ाया गया है।
साझा किए अनुभव-
पैडल बोट में सैर कर के आए देवेंद्र मीणा ने बताया कि शुरू में थोड़ा डर लगा। लेकिन बाद में बोट का सफर आनंददायक रहा। पैडल मारते हुए बोट चलाना अलग ही अनुभवकारी रहा।
वर्जन-
मेले को भव्य व आकर्षक बनाने के लिए इस बार नवाचार किए गए हैं। जिससे नगर परिषद की आय बढ़ी है। जो अब तक रिकार्ड रही है। व्यापारियों को किसी प्रकार का नुकसान न हो, इसका परिषद टीम पूरा ध्यान रख रही है। बोट का समय बढ़ाया जा चुका है।
ब्यूरो चीफ़ शिवकुमार शर्मा
बारां राजस्थान