श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (जेकेएनसी) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने धार्मिक स्थलों के सर्वे पर कड़ा विरोध जताते हुए इसे समाज में विभाजनकारी बताया। उमराह से लौटने के बाद श्रीनगर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने देश में बढ़ती नफरत और असुरक्षा पर चिंता व्यक्त की।
“अल्लाह से मांगी दुआ”
फारूक अब्दुल्ला ने कहा, “मैंने अल्लाह से दुआ मांगी है कि हमें इन मुश्किलों से बाहर निकाले। हमारे देश में जो नफरत फैल रही है, वह खत्म हो। अल्लाह हमें सही रास्ता दिखाए और शैतानी ताकतों से बचाए।” उन्होंने भाईचारे और सहिष्णुता को बनाए रखने की अपील की।
धार्मिक स्थलों के सर्वे पर प्रतिक्रिया
संभल की जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा और अजमेर की दरगाह के सर्वे की मांग पर अब्दुल्ला ने कहा, “मजहबों में नफरतें फैलाने की कोशिश हो रही है। मुसलमान आज खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। सरकार को सभी धर्मों के प्रति समान व्यवहार करना चाहिए।”
संविधान की रक्षा की अपील
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत का संविधान धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करता। फारूक अब्दुल्ला ने कहा, “अगर सरकार संविधान को कमजोर करेगी, तो भारत कहां बचेगा? 24 करोड़ मुसलमानों को दरकिनार करना न तो मुमकिन है और न ही सही।”
भाईचारे का संदेश
उन्होंने सभी से भाईचारे और सहिष्णुता को बनाए रखने की अपील की। फारूक अब्दुल्ला का कहना था कि “अल्लाह हमें इन कठिन परिस्थितियों से बाहर निकाले और हमारे समाज में शांति और एकता की भावना को पुनः स्थापित करे।”
यह बयान ऐसे समय पर आया है जब देश में धार्मिक स्थलों के सर्वे को लेकर विवाद और तनाव बढ़ रहा है। अब्दुल्ला ने समाज में सामंजस्य और विश्वास को मजबूत करने के लिए सरकार और नागरिकों से पहल करने की अपील की है।