नई दिल्ली: संसद का शीतकालीन सत्र शुक्रवार को हंगामेदार घटनाओं के साथ समाप्त हो गया। सत्र के दौरान विपक्ष और सरकार के बीच तीखी तकरार, हंगामे और धक्का-मुक्की जैसी घटनाएं प्रमुख रहीं। विपक्षी दलों ने कई मुद्दों पर सरकार को घेरा, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह की बीआर अंबेडकर पर टिप्पणी और अडानी समूह से जुड़े आरोप शामिल रहे।
अंबेडकर पर टिप्पणी से शुरू हुआ विवाद
गृह मंत्री अमित शाह की अंबेडकर पर टिप्पणी ने संसद में बवाल खड़ा कर दिया। शाह ने राज्यसभा में कहा था, “अभी एक फैशन हो गया है – अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर। इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।” इस टिप्पणी के बाद विपक्ष ने सरकार पर अंबेडकर का अपमान करने का आरोप लगाया और शाह से माफी की मांग की। विरोध के तहत विपक्ष ने संसद परिसर से विजय चौक तक मार्च निकाला।
संसद में धक्का-मुक्की और घायल सांसद
गुरुवार को अंबेडकर के मुद्दे पर हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान संसद परिसर में धक्का-मुक्की हुई। इस घटना में बीजेपी सांसद प्रताप चंद्र सारंगी और मुकेश राजपूत घायल हो गए। वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि बीजेपी सांसदों ने उन्हें धक्का देकर ज़मीन पर गिरा दिया, जिससे उनके घुटने में चोट लगी। घटना के बाद राहुल गांधी पर भी गंभीर आरोप लगे। बीजेपी सांसद कोन्याक ने कहा, “राहुल गांधी ने मेरे करीब आकर असहज स्थिति पैदा की। उनके व्यवहार से मैं परेशान हुई। मैंने राज्यसभा सभापति से सुरक्षा की मांग की है।”
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक पर हंगामा
सत्र के दौरान ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक को लेकर भी हंगामा हुआ। यह विधेयक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का प्रस्ताव देता है। इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेज दिया गया।
अडानी समूह और ‘सोरोस-गांधी सांठगांठ’ का मुद्दा
विपक्ष ने संसद में अडानी समूह पर रिश्वतखोरी के आरोप उठाए। वहीं, बीजेपी ने ‘सोरोस-गांधी सांठगांठ’ का आरोप लगाते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा। इन आरोप-प्रत्यारोपों के बीच संसद में गतिरोध बना रहा।
कामकाज पर पड़ा असर
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष पर संसद की कार्यवाही में बाधा डालने का आरोप लगाते हुए कहा कि हंगामे की वजह से लोकसभा की उत्पादकता 54.5% और राज्यसभा की 40% रही। उन्होंने विपक्ष से आगामी बजट सत्र में रुकावट न डालने की अपील की।
सत्र का समापन
15 नवंबर को शुरू हुए शीतकालीन सत्र का समापन हंगामे और विवादों के साथ हुआ। सत्र के दौरान कई महत्वपूर्ण मुद्दे उठे, लेकिन राजनीतिक तनाव के चलते बहसों की प्रभावशीलता कम रही। अब सभी की नजरें आगामी बजट सत्र पर हैं, जहां सरकार और विपक्ष के बीच फिर से टकराव की संभावना जताई जा रही है।