जयपुर। प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेले के दौरान बुधवार तड़के भगदड़ मच गई, जिसमें कम से कम 30 लोगों की मौत होने की खबर सामने आयी थी। लेकिन सवाल उठ? रहा है कि क्या सरकार और मीडिया हाउसेज भगदड में हुई मौतों का आंकडा छुपा रही है। सूत्रों की मानें तो महाकुंभ में मौतों का आंकडा 100 से अधिक बताया जा रहा है। वहीं 200 ये अधिक लोगों के घायल होने की खबर है।
बता दें कि यह घटना मौनी अमावस्या के दिन हुई, जब करोड़ों श्रद्धालु पवित्र स्नान के लिए संगम तट पर जुटे थे। अचानक भीड़ अनियंत्रित हो गई और लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे, जिससे यह भीषण हादसा हुआ।
लोगों ने सुनाया आंखों देखा मंजर
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे कईं विडियोज में लोगों ने बताया कि भगदड मचते हैं चारों तरफ चीख मचने लगी। कईं औरतें और बच्चे भीड में कुचल गये। उस समय पर कोई भी मदद लोगों को बचाने के लिए नहीं आई इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तत्काल प्रभाव से महाकुंभ की व्यवस्था में बदलाव किए हैं। नए अधिकारियों की तैनाती की गई है और सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने के निर्देश दिए गए हैं। हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब कुंभ मेले में ऐसी दुर्घटना हुई है।
1954 का काला दिन:
इतिहास में सबसे भीषण हादसा 1954 में इलाहाबाद (अब प्रयागराज) कुंभ मेले में हुआ था। उस समय मौनी अमावस्या के दिन करीब 800 लोगों की जान चली गई थी। उस दौरान एक हाथी के बेकाबू होने से भगदड़ मच गई थी। इस घटना के बाद कुंभ मेले में हाथियों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। उस समय देश के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू भी मेले में मौजूद थे।
अन्य घटनाएं:
1986 में हरिद्वार कुंभ मेले में भगदड़ मची थी, जिसमें 200 लोगों की मौत हुई थी। 2010 में हरिद्वार में ही साधुओं और भक्तों के बीच टकराव के कारण भगदड़ हुई, जिसमें सात लोगों की जान गई। 2003 में नासिक कुंभ और 2013 में प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर भी भगदड़ की घटनाएं हुई थीं, जिनमें क्रमशः 39 और 42 लोगों की मौत हुई थी।
प्रतिक्रियाएं:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना पर दुख जताया है और मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं और पीड़ितों के लिए मुआवजे की घोषणा की है।
निष्कर्ष:
महाकुंभ जैसे विशाल आयोजनों में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल उठते रहे हैं। इस घटना के बाद एक बार फिर सरकार और प्रशासन को भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा उपायों पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।