दिल्ली विधानसभा चुनाव हारने के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) को एक और बड़ा झटका लगा है। पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं और मौजूदा पार्षदों ने भाजपा का दामन थाम लिया है। इन नेताओं में मौजूदा पार्षद, पूर्व जिला अध्यक्ष और कई अन्य प्रमुख कार्यकर्ता शामिल हैं। इस घटनाक्रम ने दिल्ली की राजनीति में हलचल मचा दी है।
कौन-कौन नेता हुए बीजेपी में शामिल?
शनिवार को हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजेपी ने आम आदमी पार्टी से आए नेताओं का स्वागत किया। इन नेताओं में तीन मौजूदा पार्षद और एक पूर्व जिला अध्यक्ष शामिल हैं:
- अनिता बसोया (एंड्रयूजगंज, वार्ड नंबर 145)
- निखिल चपराना (वार्ड नंबर 183)
- धर्मवीर (आरकेपुरम, वार्ड नंबर 152)
- संदीप बसोया (पूर्व जिला अध्यक्ष, नई दिल्ली जिला)
इन नेताओं ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करते समय आम आदमी पार्टी की नीतियों और आंतरिक गुटबाजी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पार्टी में कार्यकर्ताओं की आवाज़ को दबाया जाता है और जनता से जुड़े मुद्दों की अनदेखी की जाती है।
दिल्ली में राजनीतिक समीकरण में बदलाव संभव
इन पार्षदों के बीजेपी में शामिल होने के बाद दिल्ली की सियासत में बड़ा बदलाव देखा जा सकता है। विश्लेषकों के अनुसार, इससे आगामी नगर निगम चुनावों में बीजेपी की स्थिति मजबूत हो सकती है। बीजेपी नेताओं का दावा है कि दिल्ली में अब “ट्रिपल इंजन” की सरकार बनने की संभावना बढ़ गई है:
- केंद्र में बीजेपी सरकार
- दिल्ली विधानसभा में संभावित सत्ता परिवर्तन
- दिल्ली नगर निगम में बीजेपी की बढ़त
अब तक 12 पार्षद हुए बीजेपी में शामिल
सूत्रों के मुताबिक, पिछले कुछ महीनों में AAP के एक दर्जन से अधिक पार्षद बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। बीजेपी नेताओं का कहना है कि यह सिलसिला आगे भी जारी रह सकता है। आगामी मेयर चुनाव में भी बीजेपी को फायदा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
भाजपा की प्रतिक्रिया
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, “दिल्ली की जनता अब बदलाव चाहती है। आम आदमी पार्टी में आंतरिक कलह और भ्रष्टाचार से परेशान होकर नेता हमारे साथ आ रहे हैं। यह दर्शाता है कि जनता और जनप्रतिनिधियों का विश्वास अब बीजेपी पर है।”
AAP की प्रतिक्रिया
AAP प्रवक्ता ने इन घटनाओं को बीजेपी की “तोड़-फोड़ की राजनीति” करार दिया। उन्होंने कहा, “हमारे कुछ नेता व्यक्तिगत स्वार्थ के कारण पार्टी छोड़ रहे हैं। जनता इस तरह की राजनीति को समझती है और आने वाले समय में इसका जवाब देगी।” दिल्ली की राजनीति में इस घटनाक्रम से हलचल मची हुई है। अब सभी की निगाहें मार्च में होने वाले मेयर चुनाव पर टिकी हैं।
