26 मार्च को चैत्र नवरात्रि का पांचवां दिन है। इस दिन मां दुर्गा की पांचवी पूजा यानी स्कंदमाता को जानने का उत्सव है। देवी को स्कंदमाता इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे स्कंद कुमार यानी कार्तिकेय की माता हैं, जिन्हें देवताओं का सेनापति कहा जाता है। इनके विग्रह में स्कंद जी बालक रूप में माता की गोद में विराजमान हैं। मां का रंग पूरी तरह से सफेद है और वह कमल के फूल पर विराजमान हैं, जिसे पद्मासन भी कहा जाता है।
ऐसा माना जाता है कि भगवान की मां अपने भक्तों को आशीर्वाद देती है जैसे मां अपने बच्चों को आशीर्वाद देती है। देवी मां अपने भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करती हैं। स्कंदमाता हमें यह भी सिखाती हैं कि हमारा जीवन एक युद्ध है और हम स्वयं अपने सेनापति हैं। इसलिए हम भी देवी मां के सैन्य कार्य से प्रेरित हैं।
देवी स्कंदमाता पूजा शुभ मुहूर्त (स्कंदमाता पूजा मुहूर्त)
चैत्र शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि प्रारम्भ – 25 मार्च दोपहर 2:53 बजे से.
चैत्र शुक्ल पक्ष से पंचमी तिथि समाप्त – अगले दिन दोपहर 3:02 बजे।
इस दिन रवि योग 27 मार्च को दोपहर 12 बजकर 31 मिनट से प्रातः 6 बजकर 16 मिनट तक रहेगा।
नवरात्रि के पांचवें दिन मां को क्या दें?
नवरात्रि के पांचवें दिन देवी मां को उनकी शक्ति के अनुसार अपने आभूषण और आभूषण अर्पित करने का विधान है।
स्कंदमाता पूजा विधि
स्कंदमाता की पूजा के लिए सबसे पहले एक चौकी पर स्कंदमाता की तस्वीर लगाएं। इसके बाद गंगा जल से शुद्ध करें। उसके बाद इस चौकी पर श्री गणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवियां), सप्त घृत मातृका (सात सिंदूर बिंदु लगाएं) स्थापित करें। वैदिक और सप्तशती मंत्रों से स्कंद माता और षोडशोपचार सहित सभी स्थापित देवी-देवताओं की पूजा की करें।
इस स्थिति में दशा, पाद्य, अर्ध्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य व्यवस्था, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दूर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प हार, इत्र, धूप दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती . प्रदक्षिणा, मंत्र, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें। तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें।
देवी स्कंदमाता मंत्र (स्कंदमाता पूजा मंत्र)
देवी मां के इस मंत्र का ग्यारह बार जाप करना चाहिए। मंत्र है-
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
इस स्कंदमाता मंत्र के जाप से न केवल आपको बुध ग्रह से संबंधित समस्याओं से मुक्ति मिलेगी बल्कि आपके घर में सुख-शांति और समृद्धि भी बनी रहेगी।