जयपुर, 16 मार्च 2025 – राजस्थान सरकार ने पश्चिमी राजस्थान नहर परियोजना (WRCP) से जुड़े विवाद को सुलझाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने गुजरात के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर माही बेसिन के पानी को राजस्थान के उपयोग में लाने के समझौते को लागू करने की मांग की है। यदि यह विवाद सुलझता है, तो जालौर सहित सात जिलों में सिंचाई की स्थिति में क्रांतिकारी बदलाव आएगा और लाखों लोगों को पेयजल की सुविधा मिलेगी।
WRCP से किन जिलों को होगा फायदा?
पश्चिमी राजस्थान के जालौर, जोधपुर, पाली, बाड़मेर, जैसलमेर, बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिलों को इस परियोजना से पानी मिलेगा। इससे न केवल सिंचाई की व्यवस्था सुधरेगी, बल्कि भूजल स्तर में भी सुधार होगा।
क्या है WRCP का महत्व?
4.5 मिलियन हेक्टेयर रेगिस्तानी भूमि को कृषि योग्य बनाया जा सकेगा। डेढ़ करोड़ से अधिक आबादी को पीने का पानी मिलेगा। कृषि और उद्योगों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। पलायन पर रोक लगेगी।
राजस्थान-गुजरात जल समझौता
10 जनवरी 1966 को राजस्थान और गुजरात सरकार के बीच समझौता हुआ था, जिसके तहत गुजरात ने माही बांध के निर्माण में 55% लागत वहन की और 40 टीएमसी पानी लेने पर सहमति दी। समझौते के अनुसार, नर्मदा का पानी गुजरात के खेड़ा जिले तक पहुंचने के बाद, माही के पानी का उपयोग केवल राजस्थान को करना था। हालांकि, वर्षों बाद भी गुजरात ने इस पानी पर अधिकार बनाए रखा है।
राज्य सरकार का प्रयास
राजस्थान के जल संसाधन विभाग ने सर्वेक्षण कर लिया है, लेकिन जल समझौते पर सहमति नहीं बनने के कारण विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार नहीं की जा रही है। केंद्र सरकार भी इस जल विवाद को खत्म करने में सक्रिय भूमिका निभा रही है।
राजनीतिक समर्थन
गुजरात और राजस्थान में भाजपा सरकार होने के कारण, दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच समन्वय की उम्मीद है। विधानसभा में भी पश्चिमी राजस्थान के विधायकों ने इस मुद्दे पर दबाव बनाया है, जिससे सरकार के प्रयासों को बल मिला है।
निष्कर्ष
WRCP के सफल क्रियान्वयन से राजस्थान के सूखाग्रस्त जिलों में सिंचाई व्यवस्था में सुधार होगा, पीने का पानी उपलब्ध होगा, और कृषि एवं उद्योगों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
