विधानसभा में गूंजा ‘देसी घी’ योजना का मुद्दा, सड़क निर्माण और स्वास्थ्य योजनाओं पर गरमाई बहस

राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र 2025 में गुरुवार को विभिन्न मुद्दों पर गहन चर्चा हुई। इसमें सड़क निर्माण, एचपीवी वैक्सीन, सर्वाइकल कैंसर जांच और संकल्प पत्र में किए गए वादों पर विस्तार से बहस हुई।

सड़क निर्माण पर गरमाई बहस

आमेर विधानसभा क्षेत्र के विधायक प्रशांत शर्मा ने अपने क्षेत्र में क्षतिग्रस्त सड़कों को लेकर सवाल उठाया। इस पर डिप्टी सीएम दीया कुमारी ने बताया कि हर विधानसभा क्षेत्र के लिए 10 करोड़ रुपये का फंड निर्धारित किया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सड़क निर्माण की प्रक्रिया कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित विशेष कमेटी द्वारा तय की जाती है। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने पूछा कि क्या सड़क निर्माण केवल विधायक की अनुशंसा पर होगा या कमेटी स्वतः निर्णय ले सकती है? इस पर डिप्टी सीएम ने कहा कि यदि किसी क्षेत्र में सड़क की आवश्यकता होगी तो कमेटी प्राथमिकता के आधार पर निर्णय लेगी।

गर्भवती महिलाओं को ‘देसी घी’ देने की योजना पर विवाद

विधायक मनीष यादव ने सरकार से सवाल किया कि संकल्प पत्र में गर्भवती महिलाओं को 5 लीटर देसी घी देने की घोषणा की गई थी, लेकिन अब तक कई लाभार्थियों को यह सुविधा नहीं मिली। चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने सफाई दी कि प्रदेश के 6 जिलों में BPL परिवारों की पहली डिलीवरी पर 3 लीटर घी दिया जा रहा है, और डिलीवरी के बाद 2 लीटर और प्रदान किया जाता है। अन्य जिलों में BPL और जनजातीय गर्भवती महिलाओं को सरस के कूपन के माध्यम से 5 लीटर घी दिया जा रहा है।

इस पर विपक्ष के विधायकों ने आरोप लगाया कि सरकार इस योजना को लेकर जनता को गुमराह कर रही है। चिकित्सा मंत्री ने जवाब दिया कि संकल्प पत्र में कोई निश्चित तिथि निर्धारित नहीं थी, और सरकार अपने कार्यकाल के दौरान इस योजना को पूरी तरह लागू करेगी।

प्रश्नकाल के दौरान स्पीकर की सख्त हिदायत

विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने सदस्यों को निर्देश दिया कि वे प्रश्नकाल की तैयारी को बेहतर करें। उन्होंने सुझाव दिया कि विधायक नए और पुराने प्रश्नों को संतुलित तरीके से शामिल करें, पूरक प्रश्नों की उचित तैयारी करें और मंत्रियों से अपेक्षा की कि वे उत्तर संक्षिप्त और बिंदुवार (पॉइंट टू पॉइंट) दें। उनका मानना था कि लंबे उत्तर देने से विषयों की स्पष्टता प्रभावित होती है और प्रश्नकाल का प्रभाव कम होता है।

निष्कर्ष

बजट सत्र में उठे विभिन्न मुद्दों से यह स्पष्ट होता है कि सरकार बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य योजनाओं को लेकर सक्रिय है, लेकिन विपक्ष ने योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर सवाल खड़े किए हैं। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार अपनी घोषणाओं को किस हद तक अमल में लाती है।

manoj Gurjar
Author: manoj Gurjar

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