राजस्थान सरकार ने राज्य में नशे के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए कठोर कदम उठाते हुए व्यापक स्तर पर अभियान शुरू किया है। इसके तहत एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (ANTF) द्वारा ताबड़तोड़ छापेमारी की जा रही है, जिससे नशे के सौदागरों में हड़कंप मच गया है।
एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का गठन और प्रमुख कदम
गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढ़म ने विधानसभा में जानकारी दी कि 8 अक्टूबर 2024 को राज्य सरकार ने एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का गठन किया। इसके अतिरिक्त, राज्य में नशे की तस्करी पर नियंत्रण के लिए 9 नई चौकियों और जयपुर में एक विशेष पुलिस थाना स्थापित किया गया है। इसके लिए 255 नए पदों को स्वीकृति दी गई है, जिनकी भर्ती प्रक्रिया जारी है।
‘ऑपरेशन स्मैक आउट’ का असर, नशा माफिया पर शिकंजा
‘ऑपरेशन स्मैक आउट’ के तहत पुलिस और स्पेशल टास्क फोर्स की टीमों ने राज्यभर में सघन जांच और छापेमारी शुरू की। इसके प्रभावी क्रियान्वयन के चलते जनवरी 2025 में 1,210 प्रकरण दर्ज कर 1,393 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया।
गृह राज्य मंत्री ने बताया कि पिछली सरकार की तुलना में मौजूदा सरकार के कार्यकाल में नशे के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। उदाहरण के लिए, 2022 में केवल 3,740 मामले दर्ज हुए थे, जबकि 2024 में यह संख्या बढ़कर 5,246 पहुंच गई।
नशे के दुष्प्रभावों पर जनजागरूकता अभियान
सरकार केवल कानून प्रवर्तन तक सीमित नहीं है, बल्कि जनसहभागिता के तहत जागरूकता अभियान भी चला रही है। हर साल 26 जून को ‘नशा मुक्ति दिवस’ मनाया जाता है, जिसके तहत स्कूलों, कॉलेजों और ग्रामीण चौपालों में नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी दी जाती है।
कठोर कार्रवाई जारी, तस्करों की खैर नहीं
टोडाभीम क्षेत्र और अन्य संवेदनशील इलाकों में विशेष अभियान चलाया जा रहा है। जिला पुलिस अधीक्षक, स्पेशल टास्क फोर्स और स्थानीय प्रशासन नशे की तस्करी को जड़ से खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सरकार का स्पष्ट संदेश है कि नशे की तस्करी और अवैध मादक पदार्थों के व्यापार में संलिप्त अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा।
निष्कर्ष
राजस्थान में नशे के खिलाफ चलाए जा रहे इस व्यापक अभियान से यह साफ संकेत मिलता है कि सरकार नशा मुक्त समाज के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है। सख्त कानून, जागरूकता अभियान और मजबूत पुलिस कार्रवाई के साथ, राज्य में नशे की जड़ें काटने की पूरी कोशिश की जा रही है।
