जयपुर, 24 मार्च 2025 – राजस्थान विधानसभा में सोमवार को राजस्थान विधियां निरसन विधेयक 2025 को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। इस विधेयक के तहत राज्य में 45 अप्रचलित और अनुपयोगी कानूनों को समाप्त करने का निर्णय लिया गया, जिनमें 37 कानून पंचायती राज से जुड़े हैं। इनमें बीकानेर स्टेट डिस्ट्रिक्ट बोर्ड अमेंडमेंट एक्ट 1952, बीकानेर म्यूनिसिपल अमेंडमेंट एक्ट 1952 जैसे दशकों पुराने कानून शामिल हैं।
पुराने कानून हटाने पर सरकार का तर्क
संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने चर्चा के दौरान कहा कि समय-समय पर अप्रचलित कानूनों को हटाने की प्रक्रिया जारी रही है। उन्होंने बताया कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भी 123 पुराने कानून निरस्त किए गए थे, जिनमें 100 संशोधन कानून शामिल थे। पटेल ने कहा कि सरकार लीगल सिस्टम को सरल और प्रभावी बनाने के लिए यह कदम उठा रही है, जिससे जनता को सीधा लाभ होगा।
बिल को प्रवर समिति में भेजने की मांग
हालांकि, कांग्रेस विधायकों ने इस विधेयक को जल्दबाजी में लाने का आरोप लगाया। कांग्रेस विधायक मनीष यादव ने कहा कि राज्य में अभी भी कई पुराने कानून हैं, जिन्हें हटाने की जरूरत है, इसलिए इस विधेयक को पहले प्रवर समिति में भेजा जाना चाहिए।
कोचिंग बिल पर BJP का विरोध
राजस्थान विधानसभा में कोचिंग रेगुलेशन बिल को लेकर भी चर्चा हुई, जिसमें बीजेपी विधायकों ने इस पर सवाल खड़े किए। बीजेपी विधायक गोपाल शर्मा ने कहा कि इस बिल में नियमों के उल्लंघन पर 2 लाख और 5 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। उन्होंने सवाल किया कि यह बिल सिर्फ छोटी मछलियों को पकड़ने के लिए लाया गया है या कोचिंग माफिया पर भी लागू होगा?
शर्मा ने आगे कहा कि केंद्र की गाइडलाइन में 16 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों को ही कोचिंग में पढ़ाने का प्रावधान है, लेकिन यह प्रावधान इस बिल से क्यों गायब है? उन्होंने कोचिंग सिस्टम को “शिक्षा का मायाजाल” बताते हुए कहा कि कोचिंग संस्थान इतनी ताकतवर हो चुके हैं कि वे राजस्थान की शिक्षा व्यवस्था को प्रभावित कर सकते हैं।
कालीचरण सराफ ने भी जताई आपत्ति
बीजेपी विधायक कालीचरण सराफ ने भी कोचिंग रेगुलेशन बिल के मौजूदा स्वरूप का विरोध किया। उन्होंने कहा कि अगर यह बिल पारित हो गया तो कोचिंग संस्थान राजस्थान से बाहर शिफ्ट हो सकते हैं, जिससे हजारों शिक्षक बेरोजगार हो जाएंगे और 60,000 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित होगा।
निष्कर्ष
राजस्थान सरकार ने जहां अप्रचलित कानूनों को हटाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया है, वहीं कोचिंग बिल को लेकर विपक्ष की आपत्ति सरकार के सामने नई चुनौती बन सकती है। अब देखना होगा कि यह विधेयक मौजूदा स्वरूप में पारित होता है या इसमें संशोधन किए जाते हैं।
