गर्मी की शुरुआत के साथ ही राजस्थान में पानी की मांग तेजी से बढ़ने लगी है। मार्च के शुरुआती दिनों में ही प्रदेश के बांधों में सिर्फ 49.14% पानी बचा है। इससे जल संकट गहराने की आशंका है। राज्य के 264 बांध पूरी तरह से सूख चुके हैं, जिससे कई जिलों में पेयजल संकट उत्पन्न हो सकता है।
10 जिलों में गंभीर जल संकट की आशंका
उत्तर-पश्चिम राजस्थान के 10 जिलों में पानी की स्थिति और भी विकट हो सकती है। इन जिलों को पानी की आपूर्ति करने वाली इंदिरा गांधी नहर मरम्मत के लिए अगले दो महीनों तक बंद रहने वाली है। इससे इन जिलों में जल संकट और अधिक गहरा सकता है।
सरकार का एक्शन प्लान
जल संकट से निपटने के लिए राज्य सरकार ने 263 करोड़ रुपये की आपातकालीन जल आपूर्ति योजना को मंजूरी दी है। इसके तहत:
- प्रत्येक जिले के कलेक्टर को 1 करोड़ रुपये की राशि जल आपूर्ति के लिए अधिकृत की गई है।
- 3,236 छोटे बांधों में जल संसाधन विभाग जल प्रबंधन के उपाय करेगा।
- कोटा बैराज, जवाहर सागर और राणा प्रताप सागर बांध की मरम्मत के लिए 148 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
- चंबल नहरों की मरम्मत के लिए 500 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं।
प्रदेश के बड़े बांधों में जलस्तर
राजस्थान में कुल 22 बड़े बांध हैं, जिनकी कुल जल संग्रहण क्षमता 8104.656 एमसीएम है। वर्तमान में इनमें से केवल 61.41% पानी शेष है।
- कोटा संभाग: 59.40% पानी की उपलब्धता है।
- जोधपुर संभाग: केवल 22.50% पानी बचा है।
- गांधीसागर बांध: भराव क्षमता 1312 फीट, वर्तमान जल स्तर 1301.13 फीट (73.39% भरा हुआ)।
गर्मियों के दौरान चंबल के बांधों में पानी की उपलब्धता कम होने पर गांधीसागर बांध से आपूर्ति की जाएगी।
नहरबंदी के दौरान जल आपूर्ति
इंदिरा गांधी नहर की मरम्मत के दौरान 60 दिनों तक जल प्रवाह बंद रहेगा। हालांकि, पहले 30 दिनों तक पीने के पानी की आपूर्ति जारी रखने की योजना बनाई गई है। इसके बावजूद जल संकट गहराने की आशंका बनी हुई है।
निष्कर्ष
राजस्थान में बढ़ती गर्मी के साथ ही जल संकट गंभीर रूप ले रहा है। 264 बांधों के सूखने और इंदिरा गांधी नहर की मरम्मत के चलते पानी की समस्या और विकट हो सकती है। हालांकि, सरकार ने आपातकालीन जल आपूर्ति योजना और विभिन्न मरम्मत कार्यों के लिए धनराशि आवंटित की है, लेकिन जल संरक्षण और प्रबंधन को लेकर सतर्कता आवश्यक होगी।
