राजस्थान में रीट (राजस्थान एलिजिबिलिटी एग्जामिनेशन फॉर टीचर्स) पेपर लीक मामले को लेकर सीबीआई जांच की मांग खारिज कर दी गई है। हाईकोर्ट ने एबीवीपी और अन्य संगठनों द्वारा दायर जनहित याचिकाओं को राज्य सरकार के पक्ष को जानने के बाद खारिज कर दिया। इस फैसले के बाद राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला।
डोटासरा का बीजेपी पर हमला
डोटासरा ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘सच में दोगलापन का पर्याय बन चुकी है भाजपा! रीट पेपर लीक मामले में विपक्ष में रहते हुए भाजपा ने सीबीआई जांच की मांग की, धरने-प्रदर्शन किए और कोर्ट में याचिका दायर करवाई। लेकिन अब जब भाजपा सत्ता में है, तो उसकी सरकार हाईकोर्ट में कहती है कि सीबीआई जांच की जरूरत नहीं है, और कोर्ट इस मांग को खारिज कर देता है।’
डोटासरा ने भाजपा पर राजनीतिक षड्यंत्र रचने का आरोप लगाते हुए कहा कि ‘भाजपा ने सत्ता में आने के लिए इस मामले को बड़ा मुद्दा बनाया, लेकिन अब जब सरकार में हैं, तो जांच की जरूरत महसूस नहीं होती।’ उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार को अगर सही में भ्रष्टाचार खत्म करना है, तो उन ‘मगरमच्छों’ को पकड़ना चाहिए, जिनका नाम इस घोटाले में आया था।
भाजपा की कथनी और करनी में अंतर?
कांग्रेस नेता ने कहा कि पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने इस मामले में पारदर्शी कार्रवाई की थी। लेवल-2 की परीक्षा रद्द की गई, एसओजी से जांच कराई गई, दोषियों को जेल भेजा गया और नकल रोकने के लिए कड़े कानून बनाए गए। लेकिन अब भाजपा सरकार के रवैये से स्पष्ट है कि उनकी मंशा केवल राजनीतिक लाभ उठाने की थी।
डोटासरा ने कहा कि ‘भाजपा के दोहरे चरित्र का यह प्रमाण है कि जो लोग पहले एसओजी की जांच पर सवाल उठाते थे, वही आज उससे संतुष्ट नजर आ रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार अब युवाओं की चिंता नहीं कर रही, बल्कि अपने ही नेताओं को बचाने की कोशिश कर रही है।
गहलोत सरकार में हुआ था पेपर लीक
26 सितंबर 2021 को गहलोत सरकार के कार्यकाल में रीट परीक्षा का आयोजन हुआ था। परीक्षा के दिन ही पेपर व्हाट्सएप पर लीक हो गया था, जिसके बाद 27 सितंबर को गंगापुर सिटी थाने में पहली एफआईआर दर्ज की गई। भाजपा ने उस समय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष डीपी जारौली पर भी आरोप लगाया था। अब भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद सीबीआई जांच की मांग को खारिज किया गया है, जिससे राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप और तेज हो गए हैं।
राजनीति से परे युवाओं का भविष्य
इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह राजनीति सिर्फ चुनावी फायदे तक सीमित थी, या फिर वास्तव में युवाओं के भविष्य की चिंता है? कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा ने इस मुद्दे को चुनावी हथियार की तरह इस्तेमाल किया, जबकि अब सरकार में आने के बाद इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया। राजस्थान की जनता अब इस बात पर गौर कर रही है कि क्या आने वाले समय में सरकार इस मामले में कोई ठोस कदम उठाएगी या फिर यह केवल एक राजनीतिक खेल बनकर रह जाएगा?
