कांग्रेस पार्टी ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है। कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने इस बिल को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है। वहीं, देशभर के कई शहरों—मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद और हैदराबाद—में मुस्लिम संगठनों और समुदाय के लोगों ने इस विधेयक के विरोध में सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया।
कांग्रेस ने SC में दायर की याचिका
कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने अपनी याचिका में दावा किया कि वक्फ संशोधन विधेयक “मुस्लिम समुदाय के ख़िलाफ़ भेदभावपूर्ण” है और यह संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 25-26 (धार्मिक स्वतंत्रता), 29 (अल्पसंख्यक अधिकार) और 300A (संपत्ति का अधिकार) का उल्लंघन करता है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा, “हम मोदी सरकार द्वारा संविधान के मूल ढाँचे पर किए जा रहे हमलों का विरोध करते रहेंगे। यह बिल मुस्लिम समुदाय के अधिकारों को कमज़ोर करता है, इसलिए हमने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।”
देशभर में मुस्लिम संगठनों का विरोध
वक्फ बिल के पारित होने के बाद अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इसे “लोकतंत्र के लिए काला दिन” बताया। AIMPLB के प्रवक्ता ने कहा, “सरकार ने मुस्लिम संगठनों और धार्मिक नेताओं की आपत्तियों को नज़रअंदाज़ किया है। यह बिल वक्फ संपत्तियों पर सरकार का नियंत्रण बढ़ाएगा, जो कि इस्लामिक कानूनों के ख़िलाफ़ है।” कोलकाता में हज़ारों प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतरकर नारेबाज़ी की, जबकि मुंबई के मरीन ड्राइव पर भीड़ जमा हुई। चेन्नई और हैदराबाद में भी बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए।
सरकार का रुख – ‘पीछे नहीं हटेंगे’
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में स्पष्ट किया था कि सरकार वक्फ बिल पर पीछे नहीं हटेगी। उन्होंने कहा था, “यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और दुरुपयोग रोकने के लिए लाया गया है।”
राज्यसभा में बिल पारित, कांग्रेस ने किया विरोध
इससे पहले, लोकसभा और राज्यसभा में इस बिल को पारित किया गया था। राज्यसभा में 128 वोटों के पक्ष और 95 के विरोध में पड़ने के बाद यह पारित हुआ। कांग्रेस, टीएमसी और अन्य विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया था। अब सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला ही तय करेगा कि क्या वक्फ संशोधन विधेयक कानून बना रहता है या नहीं।
