राजस्थान सरकार ने किसानों की फसलों को जंगली जानवरों और निराश्रित पशुओं से बचाने के लिए चलाई जा रही तारबंदी योजना में बड़ा बदलाव किया है। अब 1 अप्रैल 2025 से इस योजना के तहत न्यूनतम भूमि की शर्त को 1.5 हेक्टेयर से घटाकर 0.5 हेक्टेयर (लगभग 2 बीघा) कर दिया गया है। इसका मतलब यह है कि अब छोटे किसान भी इस योजना का लाभ उठाकर अपने खेतों की सुरक्षा के लिए तारबंदी करवा सकेंगे।
क्या है नई व्यवस्था?
राजस्थान सरकार के कृषि आयुक्त चिन्मयी गोपाल ने इस योजना के क्रियान्वयन के लिए वर्ष 2025-26 के दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इनके अनुसार:
- व्यक्तिगत या दो किसानों के समूह द्वारा आवेदन करने पर न्यूनतम 0.5 हेक्टेयर (2 बीघा) पक्की जमीन होना अनिवार्य है।
- सामुदायिक तारबंदी के लिए 10 किसानों के पास कम से कम 5 हेक्टेयर जमीन होनी चाहिए।
- एक किसान को अधिकतम 400 मीटर तारबंदी पर ही अनुदान मिलेगा।
- पति-पत्नी दोनों के नाम जमीन होने पर दोनों ही अनुदान के पात्र होंगे।
- तारबंदी में बिजली का करंट प्रवाहित करने की अनुमति नहीं होगी, इसके लिए आवेदक को शपथ पत्र देना होगा।
कितना मिलेगा अनुदान?
- सामान्य किसानों को 50% अनुदान या 100 रुपये प्रति मीटर के हिसाब से अधिकतम 40,000 रुपये।
- लघु व सीमांत किसानों को 60% अनुदान या 120 रुपये प्रति मीटर के हिसाब से अधिकतम 48,000 रुपये।
- सामुदायिक तारबंदी पर 70% अनुदान या 140 रुपये प्रति मीटर के हिसाब से अधिकतम 56,000 रुपये।
कैसे करें आवेदन?
किसान ई-साइन या पटवारी द्वारा प्रमाणित जमाबंदी, नक्शा ट्रेस, जन आधार कार्ड और लघु/सीमांत किसान प्रमाण पत्र लेकर ई-मित्र पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं। स्वीकृति मिलने के 90 दिनों के भीतर किसानों को तारबंदी का काम पूरा करना होगा।
“छोटे किसानों को बड़ी राहत” – सरकार
कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस नए नियम से राज्य के लाखों छोटे किसानों को फायदा होगा। अब वे भी निराश्रित पशुओं और जंगली जानवरों से अपनी फसलों को सुरक्षित रख पाएंगे।
यह योजना किसानों की आय बढ़ाने और फसल सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लाई गई है। राजस्थान में हर साल हजारों एकड़ फसलें जंगली सूअर, नीलगाय और आवारा पशुओं द्वारा नष्ट कर दी जाती हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। इस योजना के जरिए सरकार का लक्ष्य किसानों की इस समस्या को कम करना है।
