झारखंड की सियासत में एक बार फिर भूचाल आ गया है। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेता हफीजुल हसन अंसारी के एक बयान ने बड़ा राजनीतिक बवाल खड़ा कर दिया है। मंत्री हसन ने सार्वजनिक रूप से शरीयत को संविधान से ऊपर बताने की बात कही, जिस पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कड़ी आपत्ति जताई है और उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की है।
मंत्री के बयान से मचा बवाल
एक जनसभा में मंत्री हसन ने कहा, “हम कुरान सीने में रखते हैं और हाथ में संविधान। शरीयत हमारे लिए बड़ा है। हम पहले शरीयत को पकडेंगे, उसके बाद संविधान… मेरा इस्लाम यही कहता है।” इस बयान के वायरल होने के बाद विपक्षी दलों ने झामुमो और कांग्रेस पर जमकर हमला बोला।
मंत्री हसन की सफाई
बवाल बढ़ने पर मंत्री हफीजुल हसन ने बयान को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया और सफाई देते हुए कहा, “मैंने ‘मैं नहीं हम’ कहा है। आप मेरा पूरा 5-6 मिनट का भाषण देखिए। मैं संविधान में विश्वास करता हूं और उसी के अनुसार काम करता हूं। शरीयत का भी अपना स्थान है, जैसे लोग हनुमान जी को दिल में रखते हैं, मैंने भी इसी भावना से बात कही थी।”
केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेताओं ने जताई नाराज़गी
केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस बयान को बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की विरासत का अपमान बताया और कहा कि संविधान सर्वोपरि है।
वहीं बीजेपी नेता आर.पी. सिंह ने तीखा हमला करते हुए कहा, “अगर कोई मंत्री यह कहे कि वह शरीयत को पहले मानेगा और संविधान को बाद में, तो यह देश के संविधान का अपमान है। कांग्रेस को इस पर जवाब देना चाहिए।”
बाबूलाल मरांडी और भाजपा की मांग
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने इसे गठबंधन सरकार की दोहरी नीति करार देते हुए कहा, “जो लोग जेब में संविधान की कॉपी लेकर घूमते हैं, उनकी असलियत मंत्री हसन के बयान से सामने आ गई है।” भाजपा ने यह भी मांग की कि कांग्रेस और JMM अपने रुख को स्पष्ट करें और मंत्री को पद से हटाएं।
आगे क्या?
अब नजर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और कांग्रेस के रुख पर है। क्या वे इस विवाद से किनारा करेंगे या मंत्री हसन के खिलाफ कोई कार्रवाई करेंगे?
